नई दिल्ली, केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। इस मामले की सुनवाई CJI यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच कर रही है।
वहीं यूपी सरकार ने कप्पन की जमानत का विरोध किया था। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि कप्पन के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसका एक राष्ट्र विरोधी एजेंडा है।
इस मामले में यूपी सरकार ने आरोप लगया था कि कप्पन को ऐसे आरोपी के साथ गिरफ्तार किया गया जो पहले भी दंगो में शामिल रहा है। कप्पन हाथरस में एक पत्रकार के तौर पर रिपोर्ट करने के लिए नहीं जा रहा था, बल्कि वो PFI डेलिगेशन का हिस्सा था, जिसका मकसद हाथरस पीड़ित के परिजन से मिलकर साम्प्रदायिक दंगे भड़काना था।
29 अगस्त को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करके पांच सितंबर तक जवाब मांगा था। कप्पन की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा था कि सिर्फ 45 हजार रुपये बैंक में जमा कराने का आरोप है। PFI कोई बैन या आतंकी संगठन नहीं बनाया गया है। वो अक्टूबर 2020 से जेल में है। वो पत्रकार है और हाथरस की घटना की कवेरज़ के लिए जा रहे थे। तभी उन्हें गिरफ्तार किया और 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई।
गौरतलब है कि केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। 3 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाथरस के में दलित लड़की के साथ सामूहिक रेप तथा हत्या के मामले में माहौल में तनाव होने के बाद भी वहां जाने के प्रयास करने वाले पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को राहत नहीं दी थी।
कप्पन के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम ( UAPA ) का मामला दर्ज करने के बाद उनको जेल भेजा गया है। कप्पन मथुरा जिला जेल में बंद हैं। यह आदेश जस्टिस कृष्ण पहल की एकल पीठ ने सिद्धीकी कप्पन की जमानत याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया।
इसके पूर्व अदालत ने दो अगस्त को अभियुक्त तथा सरकार की ओर से पेश वकीलों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। कप्पन को अक्टूबर 2020 में उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह हाथरस में दलित लड़की के साथ गैंगरेप व हत्या के मामले में हाथरस जा रहे थे। उसी दौरान कप्पन के खिलाफ यूएपीए (UAPA Act) के तहत मामला दर्ज किया गया था