गैर कश्मीरियों की वोटिंग पर भड़के फारूक अब्दुल्ला, कहा-कोर्ट जाने पर करेंगे विचार

Farooq Abdullah

नई दिल्ली, जम्मू कश्मीर में बाहरी लोगों समेत सेना को मतदान का हक देने के मामले में फारूक अब्दुल्ला की ओर से सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। यह बैठक दो घंटे तक चली।

बैठक खत्म होने के बाद फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि हमें भारत सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। हम अदालतों में भी जाने की सोच रहे हैं।

फारूक अब्दुल्ला  ने कहा कि भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने में 200 साल लग गए और उसी तरह हम जम्मू-कश्मीर में अपनी मौत तक और उसके बाद भी लड़ेंगे। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “हमने आज की बैठक बुलाई थी क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा मतदान सूची में बाहरी लोगों को शामिल करने की घोषणा की गई थी।” उन्होंने कहा कि यह केवल

फारूक अब्दुल्ला या किसी अन्य नेता के बारे में नहीं है, यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की सामूहिक लड़ाई के बारे में है और अगर कल फारूक अब्दुल्ला नहीं रहे तो हम में से कोई और जम्मू-कश्मीर के लोगों के वास्तविक अधिकारों के लिए इस लड़ाई का नेतृत्व करेगा।

उन्होंने ने कहा कि, “कश्मीरी, डोगरा, सिख आदि की पहचान पर हमले हो रहे हैं और अगर यह निर्णय लिया जाता है तो यह सुनिश्चित करेगा कि बाहरी लोग जम्मू-कश्मीर में विधानसभा को नियंत्रित करें और हम इस निर्णय को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करते हैं।” उन्होंने इस दौरान कहा कि चुनाव आयोग की ओर से यह अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या यह केवल 25 लाख मतदाताओं की संख्या है या यह संख्या 40 से 50 लाख तक पहुंच जाएगी।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के अनुसार यह सर्वदलीय बैठक इसीलिए बुलाई गई थी ताकि इस मुद्दे पर चर्चा हो सके और यहां मौजूद सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख इसी नतीजे पर पहुंचे हैं कि चुनाव आयोग का यह प्रयास हमें मंजूर नहीं है। फारूक अब्दुल्ला के अनुसार जब केंद्र सरकार की ओर से गैर कश्मीरियों को मतदान का आधिकार दिया जा रहा है। ऐसे में उनपर खतरा और बढ़ सकता है।

फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि उन्होंने बीते सप्ताह ही इसके बारे में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से टेलीफोन पर बात की थी और कहा था कि वह एक समूह के साथ उनसे मिलना चाहते हैं। जिस तरह वह अमरनाथ यात्रा शुरू होने के समय उनसे मिले थे। फारूक अब्दुल्ला के अनुसार वह इंतजार करते रहे और उपराज्यपाल ने उन्हें नहीं बुलाया। इस मौके पर बैठक में शामिल माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि वह इंसाफ पाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे और सुप्रीम कोर्ट तब जाएंगे जब हर एक प्रयास विफल होता नजर आएगा।

क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इंसाफ पाने के लिए सबसे बड़ा संस्थान हैं। उच्च सुरक्षा वाले गुपकर इलाके में फारूख अब्दुल्ला के आवास पर बैठक आज सुबह शुरू हुई और इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस नेताओं के अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष विकार रसूल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता एमवाई तारिगामी और शिवसेना के नेताओं ने हिस्सा लिया।

बता दें शिवसेना नेता मनीष साहनी ने पहली बार जम्मू-कश्मीर में पीएजीडी के तहत विपक्ष की सर्वदलीय बैठक में भाग लिया। उन्होंने कहा, “यह जम्मू और कश्मीर के लोगों का मुद्दा है, न कि किसी राजनीतिक समस्या का, अगर स्थिति की मांग हुई तो शिवसेना विरोध शुरू करेगी। पूरे देश में केंद्र के उस फैसले के खिलाफ जिसके जरिए वे जम्मू-कश्मीर के अधिकार छीनना चाहते हैं।”

 

 

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