नई दिल्ली, बिलकिस बानो के रेप के आरोपियों को 15 अगस्त के मौके पर रिहा कर दिया गया है। वहीं बिलकिस को एक बार फिर से मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। उनके दोषियों को गुजरात सरकार ने न सिर्फ रिहा किया बल्कि सत्तारूढ़ दल के विधायक का ऐसा घिनौना बयान सामने आया है। जिसके बाद हर तरफ से गोधरा से बीजेरी विधायक सी.के. राउलजी के बयान की तीखे शब्दों में आलोचना हो रही है। विधायक के आरोपियों को ब्राह्मण और संस्कारी बताया है।
गुजरात सरकार की आलोचनाओं के बीच बड़ी संख्या में मानवाधिकार और सामजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गुजरात सरकार के फैसले को पलटने की मांग की है। अब बिलकिस के समर्थन संगीतकार जावेद अख्तर भी उतर आए है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, ‘जिन्होंने पाँच महीने की गर्भवती महिला के साथ बलात्कार किया और उनकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के सात लोगों की हत्या की, उन्हें जेल से छोड़ दिया गया, माला पहनाया गया और मिठाईयां खिलाई गईं। उन्होंने आगे कहा कि किसी बात के पीछे मत छिपिए, सोचिए. हमारे समाज में कुछ गंभीर से रूप से गलत हो रहा है।
Those who raped a 5 month pregnant woman after killing 7 of her family including her 3 year old daughter were set free from the jail offered sweets and were garlanded . Don’t hide behind whatabouts . Think !! Some thing is seriously going wrong with our society .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) August 19, 2022
मोदी सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में इसी वर्ष जून में दोषी कैदियों की एक विशेष रिहाई नीति का प्रस्ताव करते हुए राज्यों के लिए गाइड लाइन जारी की थी। हालांकि उस सूची में रेप के दोषी शामिल नहीं थे। जिन्हें इस नीति के तहत विशेष रिहाई नहीं दी जानी है।
बिलकिस बानो केस में तकनीकी आधार पर केंद्र की गाइड लाइन लागू नहीं हुईं। एक गर्भवती महिला से रेप और हत्या के मामले में दोषी 11 लोगों को रिहा करने में गुजरात सरकार ने मई में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, अपनी स्वयं की गाइडलाइंस का पालन किया। हालांकि ऐसा लगता है कि यह फैसला ऐसे मामलों के केंद्र के विचारधारा के खिलाफ है। यह विरोध, गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर केंद्र की विशेष नीति के पेज 4 के बिंदु क्रमांक 5 में साफ तौर पर स्पष्ट किया गया है एक बिंदु में साफ कहा गया है कि आजीवन कारावास की सजा वाले किसी भी शख्स को रिहा नहीं किया जाएगा।
बता दें कि 2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद दंगे हुए थे। इस दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया था। ख़बरों के अनुसार उस समय बिलकिस बानो गर्भवती थीं। गौरतलब है कि आरोपियों ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई।