मध्यप्रदेश में आदिवासी महिला को निर्वस्त्र कर लाठियों से पीटा

नई दिल्ली, मध्यप्रदेश के झाबुआ से इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। जहां रक्षाबंधन के दिन कुछ दबंगों ने एक आदिवासी महिला को निर्वस्त्र कर लाठियों से पीटा। इतना ही नहीं बीच-बचाव करने आए परिजनों को भी दबंगों ने जमकर पीटा और महिला का अपहरण कर ले गए।

रक्षाबंधन के दिन हुई इस घटना पर लोगों को काफी गुस्सा आ रहा है, लेकिन जब ये घटना हो रही थी। वहां मौके पर ग्रामीण इसका वीडियो बना रहे थे। इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल किए खड़े।

जैसा कि हमेशा होता है, वैसा ही इस घटना में देखने को मिला। पूरी घटना का वीडियो ग्रामीणों ने बनाया और सोशल मीडिया पर डाल दिया गया। घटना के बाद पुलिस सक्रिय हुई और पीड़ित महिला को ना केवल अपहरणकर्ताओं से छुड़ाया बल्कि उसके कथन पर छह लोगों पर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है।

मामले में मुख्य आरोपी मुकेश रायचंद कटारा एवं अन्य दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन सवाल यही खड़ा होता है कि आदिवासी बहुल क्षेत्र में आखिर कानून व्यवस्था क्यों नजर नहीं आती ? क्यों बार-बार इन क्षेत्रों में महिलाओं के साथ अत्याचार के वीडियो सामने आते हैं?

बता दें कि पुलिस के अनुसार पीड़ित महिला मजरूह नामक व्यक्ति की दूसरी पत्नी है करीब 8 माह पूर्व में मजरूह को छोड़कर मुख्य आरोपित मुकेश के पास रहने चली गई थी बुधवार को वे वापस रूपारेल आकर मजरूह के पास रहने लगी थी। इससे नाराज होकर मुकेश साथियों के साथ गुरुवार को रूपारेल आया और मारपीट करते हुए महिला का अपहरण कर ले गया।

पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि रायपुरिया थाना क्षेत्र के गांव रूपारेल में गुरुवार सुबह आदिवासी महिलाका परिचित मुकेश महिला को लेने साथियों के साथ आया। महिला के विरोध करने पर उसने महिला लाठी से पीटा और निर्वस्त्र कर दिया। इतना ही नहीं विरोध के बावजूद महिला का अपहरण कर ले गया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है और 6 लोग पर प्रकरण दर्ज किया है।

झाबुआ जिले में महिलाओं पर अत्याचार के मामले सामने आते रहते हैं। इन विवादों की मुख्य वजह यहां पर प्रचलित वधू मूल्य प्रथा हमेशा सामने आती है। इसमें महिलाओं की स्थिति वस्तू जैसी हो जाती है और दबंगई महिलाओं पर ही निकलती है। देश में आजादी के भले ही 75 साल हो चुके हैं लेकिन अभी भी आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शिक्षा का अभाव है और पुरानी परंपराओं और कुप्रथा आधार पर महिलाओं के साथ अमान व्यवहार किया जाता है।

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