नई दिल्ली : भारत में रमजान का चांद दिख गया है। अब कल यानी 3 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा। आज पहली तरावीह की नमाज पढ़ी जाएगी।
रमजान के पूरे महीने दुनियाभर के मुसलमान रोजे रखते हैं और उसके बाद ईद का त्योहार मनाते हैं। इस बार ईद का त्योहार 2 मई या 3 मई मानई जा सकती है। रमजान शुरू होते ही देश के सभी मुसलमानों में एक खुशी का माहौल है। इस महीने अल्लाह से अपने गुनाह की तौबा करेंगे।
रोजा क्या है
कई बार गैर- मुस्लिम के मन में यह सवाल रहता है कि रोजा मुसलमान कैसे रखते है। क्या इनका रोजा हमारे उपवास की तरह होता है…
दरअसल रोजे में कुछ भी खाने या पीने की इजाजत नहीं होती है। सूरज निकलने से लेकर सूरज ढलने तक रोजेदार ना पानी पीते हैं और ना ही कुछ खाते हैं। लेकिन और धर्मों के लोगों में उपवास में पानी पी सकते है, व्रत से जुड़ा खाना खा सकते है। लेकिन रोजे में ऐसा नहीं किया जाता।
बता दें कि कुरान और हदीस दोनों में इस बात का जिक्र है कि हर बालिग औरत और मर्द को रमजान के महीने में रोजे रखना फर्ज है। हालांकि इसमें उन लोगों को छूट है जो बीमार हो जाते हैं, बहुत बूढ़े हों, जिनके शरीर में रोजा रखने की ताकत ना हो और जो मानसिक रूप से बीमार हों। लेकिन ऐसा नहीं है कि बीमार को पूरे तरीके से छूट दी गई है। जब बीमार इंसान ठीक हो जाए तो वह अपने छूटे हुए रोजे पूरे करेगा।