झारखंड : 9 साल की शमा परवीन ने उठाई मजदूरों के हक की आवाज, अच्छे अच्छों की हुई बोलती बंद

नई दिल्ली, झारखंड के कोडरमा से एक बच्ची का वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें वह अपने हक के लिए लड़ती दिख रही है। बच्ची की उम्र सिर्फ 9 साल की है, लेकिन हौसला देखने लायक है।

डीसी और एसपी से टकराने वाली 9 साल की समा परवीन इस समय चर्चा में चल रही है। वह जब बोलती है तो सब सुनने के लिए मजबूर हो जाते हैं। उसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रहा है।

समा अब ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ की आवाज बन गई है। उसका एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें वह फिर अफसरों से मांग कर रही है कि इलाके के लोगों को ढिबरा स्क्रैप (माइका स्क्रैप) चुनने और बेचने का अधिकार दिया जाए।

कोडरमा के ढोढ़ाकोला पंचायत के कलीन अंसारी की चार बेटियां और एक बेटा है। समा परवीन तीसरे नंबर की बेटी है। वह जुड़वा है और छठवीं में पढ़ती है। सभी भाई-बहन स्कूल जाते हैं।

परिवार ढिबरा स्क्रैप चुनकर अपना भरण पोषण करता है। बच्ची के माता-पिता पढ़े लिखे नहीं हैं, लेकिन मजदूरी कर बेटियों को पढ़ा रहे हैं। समा पढ़ाई में अच्छी है। वह अक्सर अपनी कक्षा में अलग-अलग विषयों पर शिक्षकों और छात्रों के साथ संवाद करती है।

ढिबरा स्क्रैप पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। इसके बाद स्क्रैप इकट्‌ठा करने वालों पर पुलिस चोरी का मामला दर्ज करने लगी है। समा के पिता और चाचा पर स्क्रैप चोरी का मामला दर्ज है।इसको लेकर मजदूर संघ की ओर से 28 फरवरी 9 मार्च उपायुक्त कार्यालय पर धरना दिया था।

इसी धरना-प्रदर्शन के चौथे दिन DC आदित्य रंजन और SP कुमार गौरव से बातचीत करने पहुंचे थे। दोनों अफसरों चले गए। इस पर समा ने धरने पर प्रशासन पर सवाल खड़े करने लगी। उसने कहा कि क्या केवल DC, SP के बच्चे पढ़ेंगे। मजदूरों के बच्चे अनपढ़ रहेंगे। मेरे माता-पिता मजदूरों के साथ धरना दे रहे हैं। इसलिए मैं भी धरना देने आई हूं। मैं प्रधानमंत्री की बेटी नहीं हूं, जो मुझे तकलीफ नहीं होगी।

मजदूरी का काम बंद होने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। लड़की ने कहा वह पढ़ाई नहीं कर पा रही है। उसके जैसे दूसरे मजदूरों के बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। समा ने अपने दूसरे वीडियो में फिर दावा किया है कि उसके पिता और चाचा पर पुलिस ने झूठा मुकदमा दर्ज किया है।

प्रशासन से आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित हो गया। लिहाजा अब समा अपनी दूसरी बहनों के साथ स्कूल जा रही है, लेकिन परिवार का आर्थिक संकट खत्म नहीं हुआ है। इसको लेकर वह अब भी मदद की गुहार लगा रही है। वह कह रही है कि पहाड़ी इलाका होने के कारण गांव में खेती-बाड़ी नहीं होती। आजादी के पहले से लोग यह काम कर रहे हैं। ढिबरा चुनकर ही अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। प्रशासन की कार्रवाई से परिवार चलाना मुश्किल हो गया है।


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