मौलाना महमूद मदनी का बड़ा बयान-इस बार यूपी के मुसलमान ओवैसी को वोट दें

नई दिल्ली, यूपी चुनाव 2022 से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने केंद्र की मोदी सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे को सिर्फ चुनावी बताया। उन्होंने यह बात पंचायत आजतक के कार्यक्रम में कही।

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि ‘2014 से ही मुसलमानों के खिलाफ मॉब लिंचिंग के मामले हो रहे हैं पैंगबर मोहम्मद साहब के खिलाफ बयान दिए गए। लेकिन, इस पर सरकार की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया जाता है। मौलाना महमूद मदनी को शिक्षित और प्रबुद्ध वर्ग के मुस्लिम नेता है। क्योंकि, मदनी हरिद्वार की धर्म संसद में हेट स्पीच की मुखालफत करते है।

मौलाना महमूद मदनी का कहना है कि ‘हमारा काम सरकार की गलतियों को सही करना है। उसके खिलाफ जाना नहीं है। महमूद मदनी ने कहा कि ‘मुसलमानों को किसी भी एक पार्टी को हराने के लिए वोट नहीं देना चाहिए। मुसलमान अगर एक पार्टी को हराने के लिए वोट करेगा, तो ये रणनीतिक तौर से बड़ी गलती है।

क्योंकि, इस वजह से जिसके हराना है, उसको मुसलमानों की जरूरत नहीं रह गई। जिसे जिताना है, उसको भी मुस्लिमों की जरूरत नहीं होगी। किसी एक पार्टी के साथ दुश्मनी का कोई मतलब नहीं बनता है।

अगर ट्रिपल तलाक कानून की वजह से मुस्लिम महिलाओं का वोट भाजपा को मिल रहा है, तो ये अच्छी बात है। मुस्लिमों को जहां सही लगें, वहां जाना चाहिए। अगर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी किसी सही कैंडिडेट को प्रत्याशी बनाते हैं, तो उसे भी वोट देना चाहिए।

महमूद मदनी ने कहा कि ‘भाजपा सरकार में है। नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। लेकिन, कोई भी सारे काम गलत नहीं कर रहा है। लोगों ने आज के समय में ऐसा माहौल बना दिया है कि या तो पूरे विरोधी या पूरा समर्थन होगा।

कोई भी आदमी हो, उससे दो काम सही होते हैं, तो दो काम गलत भी होते हैं। मदनी ने कहा कि ‘राजनीतिक दल अपनी सहूलियत के लिए ये माहौल बनाते हैं कि मुस्लिम भाजपा को हराने के लिए वोट करें। इससे भाजपा को भी ध्रुवीकरण का मौका मिल जाता है। लेकिन, इन सबसे मुसलमानों के हिस्से सिर्फ गालियां, शर्मिंदगी और नफरत मिलती है।

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि ‘भारत का मुसलमान इस इंडियन सब-कॉन्टिनेंट के किसी भी मुसलमान से कम नहीं है। बदकिस्मती से राजनीतिक दलों ने सियासी कारणों से मुसलमानों को बदनाम किया और मुस्लिम भी इसका हिस्सा बन गए। महमूद मदनी का कहना है कि ‘राजनीति को धर्म से अलग रखना चाहिए। जब आप मजहब की बुनियाद पर राजनीति करेंगे और राजनीतिक कारणों से धर्म का उपयोग करेंगे।

मदनी ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ बनाए गए कानून को एकतरफा फैसला बताया। मदनी ने कहा कि ‘ट्रिपल तलाक कानून के लाए जाने से कुछ भी नहीं बदला है। भारत के संविधान के निर्माताओं ने लोगों को स्वतंत्रता दी थी, इस आजादी को खत्म मत कीजिए। ट्रिपल तलाक कानून को जिस अंदाज में लाया गया, उससे मुसलमानों को आइसोलेट किया गया। मदनी ने कहा कि ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पूरे देश में आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया है। हम अपनी बात को रखने के लिए किसी न किसी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल तो करेंगे ही।

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