कांग्रेस का आरोप- नफ़रत फैलाने के लिए भाजपा का हथियार बना फेसबुक

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नई दिल्ली : कांग्रेस ने  आरोप लगाया कि देश में नफरत फैलाने के लिए फेसबुक बीजेपी का हथियार बन गया है। शुक्रवार को इस मुद्दे को उजागर करने के लिए आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पार्टी ने अमेरिकी टेक कंपनी द्वारा चुनावों में कथित हेरफेर की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग की।

कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘देश में फेसबुक का इस्तेमाल 36 करोड़ लोग करते हैं। आज भारत में नफरत फैलाने के लिए फेसबुक भाजपा का हथियार बन गया हैं। कांग्रेस बोली- बनाकर फेसबुक को हथियार, भाजपा ने किया नफरत का व्यापार।’

उन्होंने कहा, ‘कई रिपोर्ट आ चुकी हैं कि फेसबुक के जरिये फैलाए जा रहे नफरत भरे संवाद (हेट स्पीच) और सामग्री, फर्जी खबरों को रोकने के लिए कारगर प्रयास नहीं किए गए। इस तरह की सामग्री कम होने की बजाय बढ़ गई है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘हिंदी भाषी प्रदेशों में सिर्फ नौ प्रतिशत बजट हेट स्पीच पर अंकुश लगाने के लिए इस्तेमाल किया। फेसबुक अपना इस्तेमाल होने दे रहा है। यह सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि भाजपा का प्रयोग है।

उन्होंने कहा कि फेसबुक से मांग है कि वह पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराए। गुप्ता ने कहा, ‘हमने फेसबुक के मालिकों को पत्र लिखा है कि वे अपनी आंतरिक रिपोर्ट की उपेक्षा नहीं करें, ठोस कार्रवाई करें। रोहन गुप्ता ने मार्क जुकरबर्ग से फेसबुक इंडिया के कामकाज के बारे में आंतरिक जांच करने और निष्कर्ष जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए कहा।

उन्होंने मार्क जुकरबर्ग को संबोधित पत्र में कहा, ‘इस संगठन के प्रमुख के रूप में यह आपकी जिम्मेदारी है कि हमारे लोगों के साथ विश्वासघात करने वालों को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए।

कांग्रेस ने उनसे भारत में फेसबुक और वॉट्सऐप के माध्यम से फैलाए जा रहे हेट स्पीच और फर्जी खबरों के आरोपों की स्वतंत्र जांच कराने के लिए भी कहा। उन्होंने लिखा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि फेसबुक 36 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं वाले

आतंकी हमले के बाद भारत में एक औसत फेसबुक उपयोगकर्ता ने अपने फेसबुक एकाउंट में मृत लोगों की अधिक तस्वीरें देखी हैं, जितना कि उन्होंने फेसबुक पर अपने पूरे जीवनकाल में देखा था।

चक्रवर्ती ने कहा, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनी द्वारा हेरफेर किया जा रहा है। यह अब कांग्रेस या भाजपा या यहां तक ​​कि राजनीति के बारे में नहीं है। यह हमारे लोकतंत्र की पवित्रता के बारे में है। यह भारत और भारतीयों के बारे में है. क्या हम विदेशी प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा अपने समाज के इस तरह के नियंत्रण को स्वीकार करने जा रहे हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, ‘इस मुद्दे की जांच के लिए एक जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए, जैसा कि हमने पहले कहा था। संसदीय स्थायी समिति को इसकी जांच के लिए फेसबुक और अन्य अधिकारियों को बुलाना चाहिए।

 

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