ना शराब बनेगा, ना ही बिकेगा, और ना ही कोई खरीदेगा और ना ही कोई घर बर्बाद होगा!

नई दिल्ली: ( नुजहत जहां) बिहार में शराबबंदी, फिर भी लोग जहरीली शराब पीकर मर रहे हैं। कहा जाता है कि बिहार में पूरी तरह शराब पर रोक है, यानी शराबबंदी है तो फिर आए दिन जो लोग जहरीली शराब पीकर मर रहे हैं वह शराब कहां से आता है कौन इसको गांव कस्बों और शहरों में लाता है? लगातार जहरीली शराब पीकर हो रही मौत से पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है।

कथित रूप से जहरीली शराब पीने से अब तक 35 से ज्यादा लोगों  की मौत हो चुकी है, इसके बावजूद प्रशासन की अब तक आंखें नहीं खुली है,  और ना ही लोगों के मौत के कारण को स्पष्ट कर रही है। बिहार में जहरीली शराब पीने से जनवरी से अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह सभी मौतें नवादा, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सिवान, रोहतास जैसे जिलों में हुई है। नकली शराब पीने से कई लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई है। ऐसा तब है जब बिहार में नीतीश कुमार ने 5 अप्रैल 2016 में शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था, फिर भी आए दिन लोग जहरीली शराब पीकर बेमौत मर रहे हैं।

शराब से मरने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन  बढ़ती जा रही है। लेकिन सुशासन बाबू की आंखें नहीं खुली रही है, बहरे और गूंगे हो गए। सोचने वाली बात है जब शराब बंदी हो गई है तो यह शराब का कारोबार कैसे चल रहा है, क्या इस के पीछे किसी बड़े नेताओं का तो हाथ नहीं है? जब तक किसी पावरफूल लोगों का हाथ नहीं होगा तब तक शराब का कारोबार आगे नहीं बढ़ सकता है। यह वही बिहार है जहां राशन के लिए लंबी कतार में घंटों खड़े रहना पड़ता है! जब राशन मिलने का समय होता है बिना फिंगरप्रिंट के किसी को भी राशन नहीं मिलता।

इसमें जनता को राशन का फायदा होता है और सरकार का घाटा इसलिए इसमें फिंगरप्रिंट है! और शराब में सरकार का फायदा और जनता का नुकसान इसलिए यह बिना फिंगरप्रिंट का हर जगह उपलब्ध है। जो इंसान सही से अपने घर का खर्च नहीं उठा सकता वह भी शराब का आदी हो चुका है। शराब के लत ने कई घरों को वीरान कर दिया है। सरकार को इस पर मंथन करना होगा, इस पर तत्कालीन कठोर से कठोर कार्रवाई की जरूरत है।

जिला, ब्लॉक, एवं पंचायत हर जगह खरीदने और बेचने वालों पर सख्त से सख्त कारवाई की जाए। हर ब्लॉक में प्रशासन को चौकन्ना रहना होगा तथा पंचायत के हर जनप्रतिनिधि को सख्त निर्देश निर्गत करने कि जरूरत है,असल कारवाई इन्हीं जनप्रतिनिधियों के साथ साथ पदाधिकारी पे होनी चाहिए, और कहां-कहां गांव में शराब का कारोबार चल रहा है उस गतिविधियों पे खुफिया तंत्र बहाल करने की जरूरत है। अगर किसी शहर में शराब से मौत हो रही है तो इसकी जवाबदेही प्रशासन से लेकर पदाधिकारी एवं पंचायत के सभी जनप्रतिनिधियों से सरकार को लेनी होगी।

अगर किसी पंचायत में ऐसा हो रहा है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी जवाबदेही उस पंचायत के सभी जनप्रतिनिधि से स्पष्टीकरण लेने के साथ कारवाई की जरूरत है। जो लोग सही से अपना घर नहीं चला पा रहे हैं वह भी शराब का आदी हो चुका है ,इस तरह के लोग आए दिन शराब पीकर बीमार हो रहे हैं या तो मर रहे हैं।

इस देश में पहले से ही बेरोजगारी, महंगाई ने अच्छे अच्छे लोगों का कमर तोड़ दिया है, तो यह गरीब कैसे जिएंगे? यह तो सरकार को ही मालूम? मैं सरकार से यह अपील करती हूं कि जितने भी शराब कारोबारी है चाहे वह बनाते हो या बेचते हो सभी को कठोर दंड दिया जाए। अगर सरकार अभी भी कोई एक्शन नहीं ले रही है तो सारी जवाबदेही सरकार को ही जाएगी! शराब बेचने वाले हो या बनाने वाले उसके पास दिल नहीं होता उसका जमीर मर गया होता है तभी तो इस तरह से अपने मुनाफे के लिए जहरीली शराब बनाकर किसी गरीब के हंसते खेलते आशियाने को तबाह व बर्बाद करते हैं।

जानते हैं कुछ खास बातें…

देसी शराब जिसे आम बोलचाल की भाषा में ‘कच्ची दारू’ भी कहते हैं, उसका रासायनिक सच बहुत ही साधारण सा है।कच्ची शराब को अधिक नशीली बनाने के चक्कर में ही ये ज़हरीली हो जाती है। सामान्यत: इसे गुड़, शीरा से तैयार किया जाता है। लेकिन इसमें यूरिया और बेसरमबेल की पत्तियां डाल दी जाती हैं ताकि इसका नशा तेज़ और टिकाऊ हो जाए।

शराब को अधिक नशीली बनाने के लिए इसमें ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है, जो मौत का कारण बनती है।हाल के सालों में ऑक्सिटोसिन को लेकर ये जानकारी सामने आई है कि ऑक्सिटोसिन से नपुंसकता और नर्वस सिस्टम एवं इसके सेवन से आँखों में जलन, ख़ारिश और पेट में जलन, लंबे समय में इससे आँखों की रोशनी भी जा सकती है।

कच्ची शराब में यूरिया और ऑक्सिटोसिन जैसे केमिकल पदार्थ मिलाने की वजह से मिथाइल एल्कोहल बन जाता है जो लोगों की मौत का कारण बन जाता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक़ मिथाइल शरीर में जाते ही केमि‍कल रि‍एक्‍शन तेज़ होता है। इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं और तुरंत मौत हो जाती है।

जिस रासायनिक द्रव्य को देसी दारू कहकर बेचा जाता है, वो 95 फ़ीसदी तक विशुद्ध एल्कोहल है यानी बिना मिलावट के. इसे एथेनॉल भी कहते हैं.

ये गन्ने के रस, ग्लूकोज़, शोरा, महुए का फूल, आलू, चावल, जौ, मकई जैसे किसी स्टार्च वाली चीज़ का फर्मेन्टेशन (किण्वन विधि) करके तैयार किया जाता है.

इस एथेनॉल को नशीला बनाने की लालच में कारोबारी इसमें मेथनॉल मिलाते हैं। और ये ज़हरीली तब हो जाती है जब इसके साथ ‘काष्ठ अल्कोहल’, ‘काष्ठ नैफ्था’ के नाम से मशहूर मेथेनॉल की मिलावट में संतुलन बिगड़ता है.

मेथेनॉल केमिस्ट्री की दुनिया का सबसे सरल एल्कोहल है. सामान्य ताप पर ये लिक्विड रूप में होता है। इसका इस्तेमाल एंटीफ़्रीज़र (फ्रीजिंग प्वॉयंट कम करने के लिए किसी कूलिंग सिस्टम में पानी के साथ मिलाया जाने वाला लिक्विड) के तौर पर, दूसरे पदार्थों का घोल तैयार करने के काम में और ईंधन के रूप में होता है।

ये एक रंगहीन और ज्वलनशील द्रव है जिसकी गंध एथेनॉल (पीने के काम में आने वाला एल्कोहल) जैसी ही होती है। ध्यान रहे कि मेथेनॉल ज़हरीली चीज़ है जो पीने के लिए बिलकुल ही नहीं होती। इसे पीने से मौत हो सकती है, आंखों की रोशनी जा सकती है। इंडस्ट्री एथेनॉल का काफ़ी इस्तेमाल करती है क्योंकि इसमें घुलने की ग़ज़ब की क्षमता होती है।

इसका इस्तेमाल वॉर्निश, पॉलिश, दवाओं के घोल, ईथर, क्लोरोफ़ार्म, कृत्रिम रंग, पारदर्शक साबुन, इत्र और फल की सुगंधों और दूसरे केमिकल कम्पाउंड्स बनाने में होता है।

पीने के लिए कई तरह की शराब, ज़ख्मों को धोने में बैक्टीरिया किलर के रूप में और प्रयोगशालाओं में सॉल्वेंट के रूप में ये काम में आता है। कैसे होती है मौत। ज़हरीली शराब पीने के बाद शरीर कैसे रिएक्ट करता है?

इस सवाल पर डॉक्टर कहते हैं, “सामान्य शराब एथाइल एल्कोहल होती है जबकि ज़हरीली शराब मिथाइल एल्कोहल कहलाती है. कोई भी एल्कोहल शरीर में लीवर के ज़रिए एल्डिहाइड में बदल जाती है। लेकिन मिथाइल एल्कोहल फॉर्मेल्डाइड नामक के ज़हर में बदल जाता है। ये ज़हर सबसे ज़्यादा आंखों पर असर करती है। अंधापन इसका पहला लक्षण है। किसी ने बहुत ज़्यादा शराब पी ली है तो इससे फॉर्मिक एसिड नाम का ज़हरीला पदार्थ शरीर में बनने लगता है। ये दिमाग़ के काम करने की प्रक्रिया पर असर डालता है।

डॉक्टर कहते हैं, “मिथाइल एल्कोहल के ज़हर का इलाज इथाइल एल्कोहॉल है। ज़हरीली शराब के एंटीडोट के तौर पर टैबलेट्स भी मिलते हैं लेकिन भारत में इसकी उपलब्धता कम है।

अब आप समझ चुके होंगे, क्या है शराब, अभी भी वक्त है संभलने का, अपने लिए नहीं तो अपने परिवार, बच्चे के लिए जीना सीखें,

कुछ जगहों पे सुनी कई ऐसे नेता और उनके कार्यकर्ता कुछ इस तरह से टिप्पणी करते हैं जो इंसानियत को शर्मसार करता है, उनका कहना है जो शराब पिएगा, वह मरेगा! लेकिन मेरा मानना है।। ना शराब बिकेगा और ना ही कोई खरीदेगा, और ना कोई मरेगा।

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