मानवीय मूल्यों के विस्तार के लिए शमीम अहमद की सेवाओं को सुनहरे शब्दों में याद किया जाएगा: मणिशंकर अय्यर

शमीम अहमद उन लोगों में से हैं जिन्होंने केवल मानवता के लिए काम किया है : मोहम्मद अदीब

नई दिल्ली : ( मिल्लत टाइम्स ) बिहार से बंगाल जाकर उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष करना किसी उपलब्धि से कम नहीं है। उर्दू इस देश की भाषा है, उर्दू सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि भारत की सभ्यता है लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की आजादी के बाद उर्दू के साथ सौतेला सुलूक किया गया । बंगाल में भी उर्दू के साथ अन्याय हुआ। शमीम अहमद इस अन्याय के खिलाफ हमेशा तन के खड़े रहे।उन्होंने तब तक आंदोलन चलाया जब तक उर्दू को उसका हक नहीं मिल गया।
मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और क़ायदे उर्दू शमीम अहमद की 25 साला संघर्ष पर अंग्रेजी में लिखी गई किताब A world Divided: Human right in an Unequal world का 25 सितंबर को कलकत्ता के फाइव स्टार होटल द पार्क में आयोजित एक भव्य समारोह में विमोचन हुआ।इस अवसर पर पूर्व केन्द्री मंत्री मणिशंकर अय्यर ने शमीम अहमद के संघर्ष को स्वीकारते हुए कहा कि देश में बहुत कम ऐसे लोग हैं जो मानवाधिकारों की बहाली के लिए और देश के लोगों के चेहरे पर ख़ुशी लाने के लिए सेवा कर रहे हैं उन्होंने ने कहा कि मुझे खुशी है कि शमीम अहमद का जीवन मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है।
मणिशंकर अय्यर ने किताब की लेखिका को बधाई देते हुए कहा कि लेखिका ने कायद-ए-उर्दू शमीम अहमद के जीवन पर रिसर्च करके हमारे सामने किताब लाई ।उन्होंने कहा कि मुझे इस किताब को पढ़ने का अवसर मिला। मणिशंकर अय्यर ने कहा कि मैं उनके “सभी के लिए भोजन” अभियान से बहुत प्रभावित हुआ हूँ ।यह सच है कि देश की आज़ादी के 70 साल बाद भी सभी देशवासियों को एक जैसा अधिकार नहीं मिला। आज भी सड़कों पर लोग भोजन के लिए तरस रहे हैं। उन्होंने ऐसे लोगों के बारे में सोचा इसलिए शमीम अहमद की जितनी प्रशंसा की जाए कम है मणिशंकर अय्यर ने लोगों को संम्बोधित करते हुए कहा कि भारत एक बहु-धार्मिक देश है। इस देश की नियति राष्ट्रीय एकता में है।उन्होंने कहा कि शमीम अहमद ने एक ऐसे समय में जब देश में धार्मिक नफरत फैलाई जा रही है , मुस्लिम और हिंदू धर्मगुरुओं को एक मंच पर लाकर जो काम किया है उसका प्रभाव आने वाले लंबे समय तक महसूस किया जाएगा।
पूर्व राज्य सभा संसद मोहम्मद अदीब ने शमीम अहमद की सेवाओं की सराहना करते हुए कहा कि बिहार से बंगाल आना और उर्दू को दूसरी राजभाषा बनाने के लिए आंदोलन करना किसी उपलब्धि से कम नहीं है. मैं शमीम अहमद को 20 सालों से उर्दू के मुजाहिद के तौर पर जनता हूँ ,मोहम्मद अदीब ने कहा कि राजनीतिक उद्देश्यों से परे मानवता के लिए काम करने वाले आज बहुत कम लोग हैं , सभी के राजनीतिक हित हैं लेकिन सौभाग्य से शमीम अहमद उन लोगों में से हैं जिन्होंने केवल मानवता के लिए काम किया। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए शमीम अहमद ने कहा कि 25 साल की यात्रा कठिनाइयों, आज़माइशों से भरी हुई है लेकिन जीवन में केवल आसानी हो जाए तो जीवन का कोई मक़सद नहीं रह जाता। शमीम अहमद ने कहा कि चुनौतियों का सामना करना ज़िंदा कौमों का तरीका रहा है उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी भारत आज दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक इंडिया जहां सुविधाएं और आसानियाँ ही आसानियाँ हैं ।दूसरी तरफ भारत की जनता है जहाँ परेशानियां ही परेशानियां हैं ,और जिनका जीवन कठिनाइयों और कष्टों से भरा है, वे सभी सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी का सपना था कि विकास की रोशनी देश के सबसे कमजोर लोगों तक पहुंचे। इसलिए गांधी जी के सपनों को पूरा करना आज हमारा सपना है।उन्होंने कहा कि जब तक गांधी जी के सपने पूरे नहीं हो जाते तब तक हमें अपना संघर्ष जारी रखना चाहिए। इस अवसर पर प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कलाकार और बंगाली बुद्धिजीवी शुभा परसना ने कहा कि शमीम अहमद बंगाल का गौरव हैं और हमें खुशी है कि बंगाल में ऐसे लोग हैं जो मानवता की बात करते हैं और मानवीय आधार पर लोगों के साथ व्यवहार करते हैं।

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