असरार अहमद / मिल्लत टाइम्स
नई दिल्ली : आज़ाद भारत के पत्रकारिता जगत के पहले शहीद पत्रकार मौलवी मोहम्मद बाक़र की खिदमात पर 16 सितम्बर को शाम चार बजे प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. मौलवी मोहम्मद बाक़र आजाद भारत के पहले पत्रकार थे जिनको ब्रिटिश सरकार ने तोप में बांध कर गोले से उड़ा दिया था अंग्रेजों ने उस क्रूरता से उनको मारा कि जिसकी मिसाल आज तक नहीं मिलती।
इस प्रोग्राम में कई वरिष्ठ पत्रकार शामिल हुए। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार मासूम मुरादाबादी कि पुस्तक 1857 की क्रांति और उर्दू सहाफत का विमोचन भी हुआ जो मौलवी बाक़र के कारनामों पर लिखी गई है।
इस मौके पर प्रेस क्लब कि ओर से दो नौजवान पत्रकार ( मिल्लत टाइम्स के एडिटर इन चीफ शम्स तबरेज़ क़ासमी और टाइम्स ऑफ इंडिया की पत्रकार स्वाति माथुर ) को अमर शहीद मौलवी बाक़र पुरस्कार से सम्मानित किया गया .
वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व राज्य सभा सांसद मीम अफजल ने कहा कि पाकिस्तान बनने के बाद सबसे ज्यादा अगर किसी का नुकसान हुआ है तो भारत के मुसलमानों का हुआ उन्होंने कहा कि आज यह कोशिश की जा रही है कि मुसलमानो ने देश की आज़ादी में जो योगदान दिया है उसको भुला दिया जाए, मीम अफ़ज़ल ने कहा मौलवी बाक़र एक ऐसे पत्रकार थे जो हिन्दू मुस्लिम दोनों को एक साथ ले कर चलने की बात करते थे इसलिए आज भी ऐसे ही पत्रकारों की ज़रुरत है जो देश को नफरत से बचा सके।
अफजल ने कहा कि जो काम आज मासूम मुरादाबादी ने किया है उसको बहुत पहले करना चाहिए था लेकिन वह आज हुआ बहुत सराहनीय कदम है. और भी लोगों को आगे आकर ऐसा करने की जरूरत है।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष ओमकांत लखीरा ने कहा कि एक पत्रकार को मारा क्यों जाता है क्योंकि वह मजलूमों की आवाज उठाता है और जालिम के क्रूर चेहरे को दुनियाँ के सामने लाता है उन्होंने कहा कि हमें आज महसूस करना होगा कि मौलवी बाक़र की क्या क़ुर्बानियां हैं
उन्होंने कहा कि हर साल मौलवी बाक़र की जयंती पर एक प्रोग्राम का आयोजन हो और हम इसको ज़रूरी कर देंगे ताकि आने वाले लोगों के लिए ज़रूरी हो जाए कि वह हर साल बाक़िर की जयंती पर प्रोग्राम का आयोजन करते रहें .
Congratulations to Shams Tabrez Qazmi (@ShamsTabrezQ) & Swati Mathur (@SwatiMathurTOI) for winning the award for best journalist in commemoration 1857 martyr, journalist Molvi Mohammad Baqar. A special function for the 164th death anniversary of First War of Independence was held pic.twitter.com/oTsNRCTft9
— Press Club of India (@PCITweets) September 16, 2021
मौलवी बाक़र की जयंती के मौके पर बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार सतीश जाकोब ने कहा मौलवी बाक़र के योगदान को देश के सामने लाना चाहिए और प्रेस कलब ने इसकी शुरुआत की है जिसकी सरहना की जानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी मौलवी बाक़र के योगदान को जान सके।
प्रेस क्लब के मैनेजिंग कमेटी के मिम्बर और वरिष्ठ पत्रकार AU आसिफ ने कहा मौलवी बाक़र जैसी अज़ीम हस्ती को हम कैसे भुला सकते हैं मौलवी बाक़र हमारे पत्रकारिता जगत के वह पहले पत्रकार हैं जिनको अंग्रेजों ने गोली से भून डाला था इसलिए हम उनको कभी नहीं भूला सकते उन्होंने ने कहा मौलवी बाक़र हमेशा देश को जोड़ने की बात करते थे उनके निडर पत्रकारिता से ब्रिटिश सरकार को डर लगता था कि अगर कहीं हिन्दू और मुस्लमान एक साथ हो गए तो हम ज़्यादा दिन तक भारत पर राज नहीं कर सकते इस लिए खौफ खाकर ब्रिटिश सरकार ने उनके ऊपर गोली चला दी
BBC के पत्रकार क़ुर्बान अली ने कहा आज मुसलमानो को इस देश का मानने से इंकार किया जा रहा है हमारे देश के पीएम ने लालकिले के प्राचीर से यहा कहा था कि हम एक लम्बे समय तक गुलामी की ज़िन्दगी जी रहे थे और आज हम उस गुलामी से आज़ाद हो गए हैं
उन्होंने कहा कि कि प्रेस क्लब को हर साल इस तरह का प्रोग्राम करना चाहिए और ताकि आने वाली नस्लों को यह मालूम हो कि मौलवी बाक़र देश की आज़ादी में क्या योगदान दिया है
उन्होंने कहा कि आज मौलवी बाक़र और 1857 को इस लिए याद करना जरूरी हो जाता है क्यों कि अब देश में एक ऐसी विचारधारा जन्म ले रही जो देश के स्वतंत्र सेनानियों को भुला देना चाहती है लोगों को नागरिकता के आधार पर बांटना चाहती है उन्होंने कहा कि पत्रकारिता जगत पहले शहीद को आज हमने भुला दिया है.
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश उर्मिल ने कहा कि मौलवी बाक़र की पत्रकारिता हमेशा देश को जोड़ने की रही है वह बिना डरे सच को सच और झूठ को झूठ लिखा करते थे जिसकी बिना पर ही ब्रिटिश सरकार ने खौफ खा कर उनको मार डाला।
इस अवसर पर पत्रकार SK पांडे ने कहा कि आज देश को मौलवी बाक़र के योगदान को याद करने की ज़रूरत है।
पत्रकार और मेंबर प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया जय शंकर शंकर गुप्ता ने प्रेस कलब ने जो शुरुआत की है इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है लेकिन यह हमेशा होना चाहिए ताकि देश मौलवी बाक़र के योगदान को जान सके ।
इस अवसर पर डॉ क़ासिम रसूल इल्यास ने कहा कि जिस प्रकार की पत्रकारिता मौलवी बाक़र करते थे आज के दौर में ऐसी पत्रकारिता बहुत कम हो गई है आज के पत्रकार सरकार के गुलाम बन गए हैं ,सरकार से सवाल नहीं करते हैं ऐसे पत्रकारों को मौलवी बाक़र से सीख लेना चाहिए और बिना डरे सरकार से सवाल करना चाहिए।
तहज़ीब टीवी के एडिटर इन चीफ मारूफ रज़ा ने कहा आज देश को मौलवी बाक़र के योगदान को याद करने की ज़रुरत है
इस शुभ अवसर पर मिल्लत टाइम्स के एडिटर इन चीफ शम्स तबरेज़ क़ासमी ने कहा कि आज प्रेस क्लब ने जिस सम्मान से मुझे सम्मानित किया है इसका पूरा श्रेय मिल्लत टाइम्स की पूरी टीम को जाता है उन्होंने ने कहा कि मिल्लत टाइम्स बिना डरे और बिना के किसी दबाव के लगातार काम कर रहा है उन्होंने कहा कि हमें कई बार नोटिस भी आया लेकिन हमारी टीम बिना डरे सच्ची पत्रकारिता कर रही है । मिल्लत टाइम्स ने शाहीन बाग आंदोलन को बहुत जगह दिया जिससे दुनिया को पता चला कि मुस्लिम महिलाएं सिर्फ घरों में ही नहीं बैठती है अपना हक़ भी मांगना जानती हैं .
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार शाहीन नज़र ,जावेद रहमानी ,आफ़ाक़ नज़र ,चश्मा फ़ारूक़ी,रिज़वां खालिद ,हिना ,काशिफ हसन ,श्यान अश्कर,मासूम ,रुखसार अहमद ,सिद्दीक़ा यास्मीन,असरार अहमद आदि लोग मौजूद रहे .
गौरतलब है कि मौलवी बाक़र दिल्ली उर्दू अख़बार के एडिटर थे जिनकी बेबाक पत्रकारिता से खौफ खा कर ब्रिटिश सरकार ने 16 सितम्बर 1857 को उन्हें तोप में बांध कर गोलों से भून दिया था।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष ओमकांत लखीरा, सेक्रेटरी जनरल विनय कुमार और मैनेजिंग कमेटी के मिम्बर AU आसिफ ने इस प्रोग्राम का आयोजन किया था।