नई दिल्ली: अफगान की सांसद ने इस बात का दावा किया है की उन्हें दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 20 अगस्त को वापस काबुल भेज दिया गया। सांसद रंगीना करगर 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद ही दिल्ली पहुंची थी। लेकिन उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से ही वापस लौटा दिया गया। दरअसल रंगीना करगर वोलेसी जिरगा की सदस्य हैं, जहां वो फरयाब प्रांत का प्रतिनिधित्व करती हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, महिला सांसद 20 अगस्त को इंस्ताबुल दुबई की फ्लाइट से दिल्ली पहुंची थी। उन्होंने एयरपोर्ट पर इस बात की जानकारी दी थी की उनके पास राजनयिक आधिकारिक पासपोर्ट है, जो भारत के साथ हुए समझौते के तहत वीजा बिना यात्रा करने के सुविधा देता है। रंगीना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया की वो इस पासपोर्ट पर कई बार भारत का सफर कर चुकी है। उन्हें हर बार आसानी से आने दिया जाता है। लेकिन इस बार उन्हें इमिग्रेशन अधिकारियों ने रोक लिया। उन्होंने जब पूछा की उन्हें इस तरह क्यों रोका जा रहा है तो अधिकारियों ने कहा की उन्हें अपने वरिष्ठो से बात करनी पड़ेगी।
बता दें 19 अगस्त को ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत का फोकस अफगानिस्तान और उसके लोगों के साथ ऐतिहासिक रिश्ते को बचने पर है। इस मामले में रंगीना ने उम्मीद जताते हुए कहा है की काबुल में हलात बदल गए है, ऐसे में मुझे लगता है की भारत सरकार अफगान महिलाओं की मदद करेगी। उन्होंने मेरे साथ जो किया गया, वह ठीक नहीं था। रंगीना ने कहा की मुझे डिपोर्ट करते समय कोई वजह नहीं बताई गई। हालांकि शायद इसका कारण काबुल में बदली हुई राजनीतिक स्थिति और शायद सुरक्षा से संबंधित स्थिती हो सकती है। 36 साल की महिला सांसद ने कहा कि मुझे दुबई में मेरा पासपोर्ट नहीं दिया गया, बल्कि इस्तांबुल में मुझे ये लौटाया गया। कारगर ने कहा कि मैंने भारत से इसकी कभी उम्मीद नहीं की थी। हम हमेशा भारत के दोस्त हैं। भारत के साथ हमारे ऐतिहासिक और सामरिक संबंध रहे हैं। इस स्थिति में एक महिला और सांसद के साथ ऐसा व्यवहार किया गया। उन्होंने हवाई अड्डे पर मुझसे कहा कि, क्षमा करें, हम आपके लिए कुछ नहीं कर सकते।
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