फेसबुक ने मशहूर न्यूज़ संस्थान मिल्लत टाइम्स के एडिटर इन चीफ पर लगाया बैन
तालिबान संभधित खबरें दिखाने पर हुई कार्रवाई,मिल्लत टाइम्स चैनल पर भी कई पाबंदियां
सवांद सहयोगी
नई दिल्ली : फेसबुक ने भारत में कई सारे फेसबुक यूजर्स के अकाउंट पर बैन लगा दिया है। फेसबुक ने मिल्लत टाइम्स के एडिटर इन चीफ शम्स तबरेज़ कासमी के अकाउंट पर भी 72 घंटे के लिए रोक लगा दी है । इतना ही नही मिल्लत टाइम्स के पेज पर भी 60 दिनों के लिए कुछ पाबंदियां लगाईं गईं है। ना अब इस अकाउंट से कुछ पोस्ट किया जा सकता है और ना ही लाइव आ सकते है। ट्वीट कर मिल्लत टाइम्स ने ये जानकारी के दी है।
ये कार्रवाई तालिबान संभधित खबरें दिखाने पर हुई है। ट्वीट में मिल्लत टाइम्स ने बताया कि हमारी उन खबरों पर फेसबुक ने आपत्ति जताई जिन में ये बताया गया था कि तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा करते समय खून खराबा नहीं किया और एक अच्छी मिसाल पेश की है,हालाँकि मिल्लत टाइम्स ने तालिबान को गलत ठहराने वाली खबरों को भी कवर किया है।
Facebook has banned the account of Shams Tabrez Qasmi, Editor of Millat Times for three more days. Earlier on 18 August, his account was restricted for one day. Facebook has also banned the Millat Times Page and imposed a 60-day restriction on it due to which pic.twitter.com/Al2plTdgOL
— Millat Times (@Millat_Times) August 19, 2021
अगर आप भी तालिबान को लेकर कुछ भी सकरात्मक लिखते हैं या बोलते हैं तो आपका भी अकाउंट सस्पेंड किया जा सकता है । फेसबुक के प्रवक्ता Chris Hughes का कहना है की तालिबान एक आतंकी संगठन है इसीलिए आप उनका समर्थन नहीं कर सकते। फेसबुक की इस कार्रवाई के बाद खुद फेसबुक सवालों के घेरे में है , ये उठाया गया है कि जिस- जिस देश ने तालिबान का समर्थन किया है क्या वहां फेसबुक अपना संचालन बंद कर देगा ? या वहां भी यही रवैया अपनाएगा या फिर ये एक महज ढोंग है। मिल्लत टाइम्स के एडिटर इन चीफ शम्स तबरेज़ ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि मिल्लत टाइम्स की आवाज को दबाने की पूरी कोशिश की जा रही है,उसकी लोकप्रियता को कम करने का प्रयास है। मिल्लत टाइम्स एक न्यूज़ संस्थान है जिस का काम ही दुनिया के सामने सच्चाई को रखना है। उन्होने ने फेसबुक की पालिसी पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्या अब सोशल मीडिया को दबाया जायगा ? क्या ये फेसबुक का दोहरा चरित्र नहीं है ? फेसबुक का कहना है की ये कम्युनिटी गाइडलाइंस के खिलाफ है। जब भारत सरकार तालीबान को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन नहीं मानती तो ये कैसे कहा जा सकता है की ये कम्युनिटी गाइडलाइंस के खिलाफ है ? पूरी दुनिया जानती है कि फेसबुक ने कुछ ही साल पहले WhatsApp को खरीदा है और आज भी whatsApp का इस्तेमाल तालिबानी कर रहे हैं इस से ये साबित होता है की फेसबुक दोहरे मापदंड रखता हैं, ये दोहरा चरित्र कैसे मान्य हैं ? फेसबुक को ये ध्यान रखना चाहिए कि अमेरिकी ने भी तालिबान को आतंकवादी संगठन नहीं माना और ना ही भारत ने ,फेसबुक को अपनी पॉलिसी का बदलना होगा।
शम्स तबरेज़ कासमी ने आगे बताया कि हम उन लोगों में शामिल नहीं हैं जो एकतरफा ख़बरें दिखाते हों हम खबर के दोनों पहलुओं पर नजर रखते हैं और ना ही हम नेगेटिव प्रोपेगंडा चलाने वालों में शामिल हैं,फेसबुक अपना जो भी रवैया मिल्लत टाइम्स पत्रकारिता का धर्म निभाते रहेगा और दुनिया के सामने सच्चाई दिखाने का काम उतनी ही ऊर्जा के साथ जारी रहेगा।