Desk Report …हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद….जो नहीं जानते वफ़ा क्या है…?
मिर्जा गालिब का ये शेर जंगपुरा विधानसभा के विधायक और आम आदमी पार्टी की सरकार पर बिल्कुल सटीक बैठता है. दरअसल, सराय काले खां में रहने वाले एक गरीब रिक्शा चालक मोहम्मद अब्दुल्ला की बेटी इलियाना दिव्यांग है. उसकी उम्र नौ वर्ष है. वो दिल्ली के वाईएमसी निजामुद्दीन स्कूल में पढ़ती है. लॉकडॉन से पहले कोई व्यक्ति इस गरीब पिता की दिव्यांग बेटी की पढ़ाई का खर्चा उठा रहा था. बच्ची की पढ़ाई जारी थी. मगर तालाबंदी के बाद ये मदद आना बंद हो गई और इलियाना की पढ़ाई रुक गई.
इस बीच एनडीटीवी के पत्रकार अतहरुद्दीन मुन्ने भारती को इस मामले की जानकारी मिली.
उन्होंने ट्वीट कर इलियाना की मदद हेतु दिल्ली सरकार से गुहार लगाई कि दिल्ली सरकार इस दिव्यांग बेटी की सहायता करे. ट्वीट में दिल्ली सरकार के मंत्रियों और विधायकों को भी टैग किया. फिर क्या था… जंगपुरा विधायक प्रावीन कुमार की उंगली ट्वीटर के टाईप बाक्स पर गई. उन्होंने तुरंत रिट्वीट कर इलियाना की पढ़ाई का सारा खर्चा उठाने की जिम्मेदारी ले ली. साथ ही विधायक प्रावीन कुमार ने बच्ची के घर वालों से विडिओ काल के जरिए बात भी की, जिसका जिक्र उनके ट्वीट में भी है.
बताते चलें कि ये सारा मामला कोई तेरह चौदह फरवरी का है. फ़रवरी बीत गया और मार्च महीना शुरू हो चुका है लेकिन विधायक द्वारा किया गया वादा पूरा नहीं हुआ है. इस बीच मिल्लत टाइम्स को मिली जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता इलियाना के घर तो आए परंतु फीस माफ नहीं करवाए. इलियाना की मां मिल्लत टाइम्स के रिपोर्टर असरार अहमद को बताती हैं कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता उनके घर आए, उनसे इलियाना की स्कूल फीस की रकम पूछा, और कहा कि आप अपनी बेटी को स्कूल भेजिए, हम लोगों ने स्कूल संचालक से बात कर ली है वो अब आपसे फीस नहीं मांगेंगे. परंतु इलियाना की मां जब स्कूल गई तो उन्हें पता चला की आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनकी बेटी की स्कूल फीस जमा नहीं की है. साथ ही उनकी माता का कहना है कि एक साल बीत गए हमने सरकार से इलियाना के लिए एक व्हील चेयर मांगा था वो भी नहीं मिला और कहा गया कि इस बच्ची के नाप का व्हील चेयर अभी उपलब्ध ही नहीं है. सनद रहे कि मीडिया और भाषणों में अपनी बड़ाई करते न थकने वाली केजरीवाल सरकार की करनी और कथनी में ये फर्क है कि अभी तक व्हील चेयर भी नहीं दे पाई है. इस बाबत मिल्लत टाइम्स ने विधायक से उनका पक्ष जानने हेतु संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि हमने अपनी टीम भेजी थी. आगे उन्होंने कहा कि हम फुर्सत से बात करेंगे और फोन काट दिया. गौरतलब हो कि मिल्लत टाइम्स ने जब ये ख़बर चलाया तो विधायक के पीए ने मिल्लत टाइम्स के आफिस में फोन किया और पत्रकारिता सिखाने लगे. वैसे भी जब कोई नेता किसी पत्रकार को पत्रकारिता सिखा रहा हो, तो समझिए कि उस पत्रकार को पहले से पत्रकारिता आती है.
इस ख़बर पर और अपडेट के लिए पढ़ते रहिए मिल्लत टाइम्स.