जन्मदिन मुबारक हो प्रिय अखिलेश यादव

२०१२ का यूपी चुनाव जिसने भी देखा है उसे याद होगा कि कैसे अचानक एक नौजवान साइकिल से चलकर पूरा यूपी नाप डालता है। उस नौजवान की आँखों में तमाम नए सपने थे जो उसने संजोए थे अपने प्रदेश के लिए, अपनी पार्टी के लिए, मुल्क की जनता के लिए। आँखों में सुंदर स्वप्न और व्यवहार में गजब की आत्मीयता लिए वह युवक राजनीपदार्पण करतापर है और बहुत कुछ उलट-पलट कर रख देता है।

समाजवादी विचारधारा पर खड़ी पार्टी जो उस वक्त प्रौढ़ावस्था की तरफ़ मुड़ चुकी होती है उसमें अखिलेश यादव का अविर्भाव एक प्रगतिशील, लिबरल और बहुत कुछ बड़ा करने के लिए आतुर युवा के तौर पर होता है।

अखिलेश यादव वह शख़्सियत हैं जो अपने कर्मक्षेत्र में तमाम बड़े परिवर्तनों और अपने स्वभाव में अद्वितीय विनम्रता बरकरार रखने वाले राजनेता के तौर पर लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ चुके हैं।

एक मुख्यमंत्री के तौर पर जिस रफ़्तार से उन्होंने यूपी जैसे बीमारू समझे जाने वाले राज्य को महज़ पाँच सालों में विकास के जिस पथ पर दौड़ाया है वह अविस्मरणीय है।

जिस राज्य की सड़कें अपने गड्डों की वजह से पूरे देश में कुख्यात थीं वहाँ अखिलेश यादव महज़ १८ महिनों के अल्प समय में एक ऐसी सड़क बनाकर देते हैं जिसकी गुणवत्ता महज़ इस बात से समझी जा सकती है कि आपातस्थिति में उस पर लड़ाकू विमान तक उड़ान भर सकते हैं।

एक ऐसा राज जहां कई-कई बच्चे स्नातक, परास्नातक होने के बाद भी निर्धनता की वजह से कंप्यूटर या लैपटॉप जानते तक नहीं थे वहाँ बारहवीं उत्तीर्ण करने के बाद हर बच्चे को लगातार पाँच साल hp के बेहतरीन लैपटॉप सरकार ने मुफ़्त देकर “ज्ञान की क्रांति” का मार्ग खोल दिया।

राजधानी लखनऊ में HCL-IT City, Amul, Lulu Mall जैसी बड़ी कंपनियाँ खड़ी कर दी गईं जिससे रोज़गार सृजन किया जा सके। ना मालूम कितने ही नए अस्पताल बनाए गए और जर्जर हो चुके पुराने अस्पतालों का कायाकल्प किया गया।

डायल१००, १०९० जैसी विश्वस्तरीय व्यवस्थाएँ नागरिकों को दी गईं जिनकी वजहों से एक समय अपराधों के लिए कुख्यात रहे राज्य में बेहतर क़ानून व्यवस्था को संभव किया गया। चार-चार ज़िलों में मेट्रो ट्रेन का DPR बनकर तैयार किया गया जिसमें से लखनऊ में को मेट्रो शुरु भी हो गई है।
किसानों एवं लघु उद्योगों को सुदृढ़ करने के लिए नई मंडियाँ बनाने का काम किया गया जिससे उनकी उपज का बेहतर मूल्य उन्हें उपलब्ध कराया जा सके।

लोहिया ग्राम योजना, लोहिया ग्रामीण बस सेवा के माध्यम से दूरदराज़ के इलाक़ों को मुख्य शहरों से जोड़ा गया। समाजवादी एंबुलेंस सेवा के माध्यम से बीमारु राज्य की बीमारी को दूर करने का रास्ता खोजा गया।

पाँच साल के कार्यकाल में MBBS की सीटें दोगुनी की गईं, तमाम सरकारी दफ़्तरों की जर्जर हो चुकीं इमारतों को विश्वस्तरीय नईं इमारतों में स्थानांतरित किया गया जिससे सरकारी काम में तेज़ी एवं गुणवत्ता आई। इतिहास की अनमोल धरोहरों को संरक्षित किया गया जिसकी बानगी किसी भी पुरातात्विक महत्व वाली इमारत को देखकर समझी जा सकती है।

जिस राज्य की प्रमुख पहचान वहाँ के महिलाओं के पिछड़ेपन को लेकर थी वहाँ उन्हें पढ़ने के लिए विद्याधन दिया गया। पिंक ऑटो देकर आत्मनिर्भर बनाया गया।

एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं के लिए Sheroes Hangout जैसी शानदार पहल को हरी झंडी दिखाई गई। साहित्य, कला, सिनेमा, इतिहास, समाजसेवा और अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए “यशभारती” जैसा सम्मान दिया गया।

सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की पहल की गई जिसके फलस्वरूप अचानक से यूपी के शहर बॉलीवुड के रूपहले पर्दे पर छाने लगे।

पर्यावरण प्रेमी अखिलेश यादव ने नदियों की सफ़ाई के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई और उसे धरातल पर साकार करके भी दिखाया जिसका सबसे बढ़िया उदाहरण गोमती है। हर शहर में पार्कों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया गया उनमें ओपन जिम जैसी चीजें लगवाईं गईं, साइकिल पथ बनवाए गए जिससे सड़कों पर ट्रैफ़िक के भार को कम किया जा सके और साइकिल चलाने वाले स्कूल के विद्यार्थियों को और अन्य लोगों की सुरक्षा गारंटी दी जा सके।

कुंभ मेले का अभूतपूर्व आयोजन किया जिसे UN जैसी वैश्विक संस्था ने सम्मानित किया। कुंभ की आयोजन समिति का अध्यक्ष श्री आज़म खान जी से करवाकर अखिलेश यादव ने पूरी दुनिया के सामने सांप्रदायिक संकीर्णता को नकार देने का अप्रतिम उदाहरण दिया ऐसी और भी बेहतरीन कामयाबियां हैं एक कुशल मुख्यमंत्री के तौर पर श्री अखिलेश यादव के हिस्से में पर वो सब फिर कभी।

अब आते हैं दूसरे पहलू पर; एक संगठनकर्ता के तौर पर अखिलेश यादव।
यहाँ भी अखिलेश पूरी तरह से सफल ही नज़र आते हैं। एक बूढ़ी हो चली पार्टी को वह अचानक से नौजवान करने के काम में जुट जाते हैं और इतनी मोहब्बत अपने हर एक युवा कार्यकर्ता के दिल में अपने ओजस्वी नेतृत्व से भर देते हैं कि यूपी के तमाम युवा अपने प्रिय नेता के नाम पर अपनी जवानी तक क़ुर्बान करने को तैयार हो जाते हैं। वो प्रेम जिसने भी देखा वह चकित रह गया, तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं के दिलों पर अखिलेश की लोकप्रियता साँप की तरह लोटने लगी।

हम उन दिनों सुदूर दक्षिण में थे हमनें खुद देखा है तिरुपति, चेन्नई से लेकर हैदराबाद तक के लोगों को अखिलेश यादव के बारे में उत्साहपूर्ण बात करते हुए।

क्या शानदार माहौल था यूपी में अखिलेश जी के नेतृत्व में। इतवार को बेख़ौफ़ लखनऊ वाले रात में “गंजिंग” करते थे। अधिकारी और सरकार में शामिल मंत्री फुर्सत के वक्त तनाव को कम करने के लिए क्रिकेट खेला करते थे। उन पलों ने यूपी के माहौल में सकारात्मकता भर दी थी जो विकास के लिए सर्वोत्तम बात थी।

राजनेता के तौर पर भी अगर हम देखें तो पाएंगे अखिलेश यादव यहाँ भी विलक्षण रहे। कांग्रेस और बसपा के साथ किए गए उनके गठबंधन भले ही चुनावी मैदान में सफल ना हुए हों लेकिन इन गठबंधनों की वजह से सपा के तमाम नौजवान कार्यकर्ता के वैचारिक उथलेपन को दूर करने में कामयाबी ज़रूर मिली है।

समाजवादी पार्टी के पोस्टर पर बाबा साहेब की तस्वीर का आना और सपा के कार्यकर्ताओं का गांधी को जानना इन गठबंधनों का ही नतीजा रहा जो निश्चित तौर पर एक उज्ज्वल भविष्य की ओर इंगित करता है और यह संभव हो पाया सिर्फ़ और सिर्फ़ अखिलेश यादव की गहरी दृष्टि और स्पष्ट आचरण की वजह से।

हमारे लिए अखिलेश यादव दुनिया के उन बड़े विजनरी नेताओं की श्रेणी में खड़े होते हैं जो अपने शुभकर्मों से बंजर ज़मीन में भी विकास की फसल उगा सकते हैं।

अखिलेश यादव एक आज्ञाकारी पुत्र के तौर पर, एक श्रेष्ठ पति के तौर पर, एक सुंदर पुरा के तौर पर और एक नेकदिल राजनेता के तौर पर जनता के सामने आते हैं और उसके दिलों पर राज करते हैं।

संप्रदाय, जाति, भाषा जैसे तमाम मसलों से ऊपर उठकर सभी के हित में “काम के बोलने” की राजनीति करने वाले हरदिल अज़ीज़ टीपू भैया को जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारकबाद।
-पवन यादव

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