नई दिल्ली, वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू समुदाय को एक बड़ा झटका दिया है। ज्ञानवापी केस में अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होगी।
इसे हिंदू पक्ष को झटके के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अब हिंदू पक्ष के पास अब कौन-कौन से विकल्प बचे हैं? बड़ा सवाल यह भी है कि क्या हिंदू पक्ष कार्बन डेटिंग की मांग के विकल्पों का उपयोग करेगा भी या नहीं?
बता दें जिला अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि कार्बन डेटिंग की अनुमति दी गई तो शिवलिंग को नुकसान पहुंचेगा और ऐसा होने पर हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। ध्यान रहे कि वाराणसी जिला अदालत ने इसी वर्ष 12 सितंबर को फैसला दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी का विवाद पर अदालत में सुनवाई हो सकती है। मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर पूजास्थल कानून 1991 (प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991) के अधीन नहीं आता है, इसलिए यह मामला अदालत की सुनवाई के लिए पोषणीय है। न्यायालय ने उस स्थान की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में याचिका को खारिज कर दिया जहां कथित तौर पर ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान “शिवलिंग” की खोज की गई थी।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वाराणसी कोर्ट ने पहले निम्नलिखित दो बिंदुओं पर पक्षों से स्पष्टीकरण मांगने के बाद 7 अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई टाल दी थी:
- ज्ञानवापी मस्जिद परिसर [कथित शिव लिंग] के अंदर खोजी गई संरचना सूट संपत्ति का हिस्सा है या नहीं।
- क्या न्यायालय वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए आयोग नियुक्त कर सकता है?