नई दिल्ली, कर्नाटक से दलित महिलाओं के साथ हुई बर्बरता का मामला सामने आया है। जिन्हें 15 दिन बंधक बनाकर रखकर बेरहमी से पीटा गया। आरोप है कि दो लोगों ने महिला मजदूरों को एक कमरे में बंधक बनाकर उनसे मार-पीट की।
इस दौरान एक महिला का गर्भपात होने की भी खबर है। दोनों आरोपियों को सत्ताधारी पार्टी बीजेपी का समर्थक बताया जा रहा है। हालांकि बीजेपी ने इस मामले से खुद को दूर कर लिया है।
बता दें कि पुलिस के अनुसार ये सभी दलित महिला मजदूर कर्नाटक के जेणुगड्डे गांव में आरोपी जगदीश गौड़ा के कॉफी प्लांटेशन में दिहाड़ी पर काम करती थीं। इन्होंने जगदीश से 9 लाख रुपए का लोन लिया था। जब ये लोन नहीं चुका पाईं तो जगदीश ने उन्हें बंधक बना लिया। जगदीश गौड़ा और उसके बेटे तिलक गौड़ा के खिलाफ SC-ST एक्ट के तहत 10 अक्टूबर को मामला दर्ज किया गया है। दोनों आरोपी फिलहाल फरार हैं।
पार्टी प्रवक्ता ने जगदीश को भाजपा सदस्य या लीडर बताने वाले दावों को खारिज कर दिया है। वरसिद्धि वेणुगोपाल ने कहा, ‘न तो जगदीश पार्टी कार्यकर्ता है और न ही सदस्य है। वह सिर्फ एक समर्थक है। वह किसी भी अन्य वोटर जैसा है।’
खबर के मुताबिक जगदीश गौड़ा ने कथित तौर पर पड़ोसियों से झगड़े के सिलसिले में एक महिला मजदूर मंजू को पीटा था। इसके बाद अन्य कर्मचारियों ने काम करने से मना कर दिया। इस पर मालिक ने कहा कि वो उससे उधार लिए पैसे वापस करने के बाद ही काम छोड़ सकते हैं।
जब मजदूरों ने पैसे नहीं लौटाए तो गौड़ा ने उन्हें कथित रूप से अपने घर के एक कमरे में बंद कर दिया। खबर की मानें तो, इस दौरान कमरे में बंद एक प्रेग्नेंट महिला मजदूर कथित तौर पर टॉर्चर नहीं सह पाई और उसे गर्भपात का सामना करना पड़ा। बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
दैनिक भास्कर के मुताबिक एक सीनियर पुलिस अफसर के हवाले से बताया है कि 8 अक्टूबर को कुछ लोग बेलहोन्नुर पुलिस थाने आए। उन्होंने दावा किया कि जगदीश गौड़ा उनके परिजनों को टॉर्चर कर रहा है, लेकिन शाम को उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली।
अफसर के अनुसार अगले दिन यानी 9 अक्टूबर को गर्भवती महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और चिकमगलूर में पुलिस चीफ के पास नई शिकायत दर्ज कराई गई। तब इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई। एफआईआर में जगदीश गौड़ा और उसके बेटे तिलक गौड़ा के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। दोनों आरोपी फिलहाल फरार हैं।
इस मामले की जांच कर रहे अफसर ने बताया कि जब वे कॉफी प्लांटेशन पहुंचे तो वहां उन्हें एक कमरे में कई लोग बंद मिले। उस जगह चार परिवारों के 16 लोगों को 15 दिनों से कैद करके रखा गया था। ये सभी मजदूर पिछड़ी जातियों के थे। पुलिस ने वहां से सभी लोगों को बाहर निकाला।
पुलिस को यहां कैद अर्पिता नाम की महिला ने बताया कि जगदीश ने उसे एक दिन के लिए कमरे में बंद रखा। उनके साथ मारपीट की और गालियां दीं। जगदीश ने उसका फोन भी छीन लिया। उसने उसके पति और बेटी को भी मारा। इतना ही नहीं, अर्पिता दो महीने की गर्भवती थी, मारपीट के चलते उनका मिसकैरेज भी हो गया।