नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के हेट स्पीच मामले में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है।
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने फैसला सुनाया। योगी उस समय गोरखपुर के सांसद थे। इससे पहले 24 अगस्त को हेट स्पीच मामलों में जजों ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि इस मामले में मंजूरी देने से इनकार करने पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने कहा, ‘मंजूरी से जुड़े कानूनी प्रश्नों को किसी उपयुक्त मामले से निपटने के लिए खुला रखा जाएगा।
याचिकाकर्ता परवेज परवाज ने आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ ने 27 जनवरी, 2007 को गोरखपुर में आयोजित एक बैठक में “हिंदू युवा वाहिनी” कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुस्लिम विरोधी अभद्र टिप्पणी की थी।
उन्होंने 3 मई, 2017 को यूपी सरकार द्वारा लिए गए निर्णय, जिसमें मामले में आरोपी पर मुकदमा चलाने और मामले में दायर क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी देने से इंकार कर दिया गया था, उसे भी चुनौती दी थी। उन्होंने पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने 22 फरवरी, 2018 को याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।
पिछली सुनवाई में एडवोकेट अय्युबी ने कहा था कि जहां तक डीएफआर का संबंध है, जांच एजेंसी ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया था कि अपराध शाखा ने धारा 143, 153, 153 ए, 295 ए और 505 आईपीसी के तहत अपराध बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अपराध का पता लगा लिया गया है और पांचों आरोपियों को नामजद कर दिया गया है। एडवोकेट अयूबी के अनुसार, इसे विधि विभाग द्वारा अस्वीकार किया जा रहा था। उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से सीनियर एड़वोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा था कि सीएसएफएल ने कहा था कि विचाराधीन सीडी, जिसमें कथित अभद्र भाषा की रिकॉर्डिंग है, छेड़छाड़ की गई है।