नई दिल्ली, (नसीम अख्तर) राष्ट्रपति भवन में आज चौथे एपीजे अब्दुल कलाम मेमोरियल लेक्चर का अयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का आयोजन इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के द्वारा पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मौजूद थे।
साथ ही देश के बड़े अधिकारियों समेत कई अन्य देशों के राजदूतों ने भी कार्यक्रम में शिरकत की थी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इसे मैं अपनी खुशकिस्मती समझता हूं कि एपीजे अब्दुल कलाम जैसी अजीम शख्सियत के के याद में आयोजित जलसे में शिरकत होने का मौका मिला।
राष्ट्रपति कोविंद ने अब्दुल कलाम साहब के आदर्शों को लोगों तक पहुंचाने के लिए इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के प्रेसिडेंट सेराजुद्दीन कुरैशी तथा पूरे टीम को बधाई दी।
उन्होंने कहा है कि यह बहुत खुशी की बात है कि यह सेंटर लगातार कौमी एकता की बात करता रहा है और इस तरह का कार्य करके यह सेंटर अब्दुल कलाम साहब की विरासत को मजबूत बना रहा है।
इस नेक काम के लिए आपलोगों की जितनी भी तारीफ़ की जाए वह कम है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि एपीजे अब्दुल कलाम साहब पर हर भारत वासी को नाज है जिन्हें अपने मुल्क से बेपनाह मोहब्बत थी।
उन्होंने कहा कि कलाम साहब अगर चाहते तो वह नासा में या दुनिया के किसी भी मुल्क में किसी बड़े ओहदे में काम करके ढेर सारी दौलत कमा सकते थे उनके पास कई ऐसे ऑफर भी आते थे लेकिन उन्होंने देश में रहकर साइंस, स्पेस साइंस और ख़ासकर डिफेंस साइंस और कम्यूनिकेशन के क्षेत्र को मजबूत बनाने का कार्य किया।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कलाम साहब की आत्मकथा सभी देश वासियों को पढ़नी चाहिए और ख़ासकर नौजवानों को। देश का हर नौजवान कलाम साहब के नसीहतों को अपने जीवन में ढाले।
राष्ट्रपति ने कहा कि कलाम साहब के आदर्शों की मुख्य बातें अपने शिक्षकों को इज्जत करना और घर वालों से लगाव बना कर रखना था। उन्होंने कहा कि कलाम साहब की जयंती और पुण्य तिथि पर विज्ञान की लोकप्रियता और उनके आदर्शो को लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रोग्राम किए जाने चाहिए।
कलाम साहब देश को एक विकसित देश के रूप में ही नहीं बल्कि एक महाशक्ति के रूप में देखना चाहते थे। उन्होंने 2020 तक भारत को एक विकसित देश बनाने का एक खाका पेश किया था।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जब हमारे देश की आज़ादी के सौ साल पूरे होंगे तब हमारी अग्निपीढ़ी भारत को एक महाशक्ति के रूप में पूरे दुनिया में स्थापित कर चुकी होगी। 2047 का भारत हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों का और कलाम साहब के सपनों का भारत होगा।