नई दिल्ली (असरार अहमद ) पश्चिम बंगाल पुलिस भर्ती बोर्ड (WBPRB) 26 सितंबर 2021 को राज्य पुलिस में कांस्टेबल और महिला कांस्टेबल की भर्ती के लिए एक परीक्षा आयोजित करने जा रहा है। बोर्ड ने 6 सितंबर को इस परीक्षा के लिए आवेदन पत्र भी जारी दिए हैं।लेकिन इस परीक्षा के लिए 30,000 से अधिक छात्रों के आवेदन पत्र जारी नहीं किये गए हैं ।उन्हें इसका कारण यह बताया गया है कि आपने फॉर्म जमा करते समय कुछ गलतियां की हैं।
जिन 3000 छात्रों के आवेदन पत्र जारी नहीं हुए हैं उनमें 1,000 से अधिक मुस्लिम लड़कियां हैं। क्योंकि उन लोगों ने फार्म भरते समय जो तस्वीरें अपलोड की थीं उनमें हेडस्कार्फ़ या हिजाब पहने हुए दिखाई दे रही हैं। डब्ल्यूबीपीआरबी की गाइडलाइंस में कहा गया है कि फोटो में किसी भी तरह से आवेदकों के चेहरे को कवर नहीं किया जाना चाहिए। दिशानिर्देश में कहा गया है कि आवेदकों को सलाह दी जाती है कि वे फोटोग्राफ और हस्ताक्षर के स्थान पर और दूसरी कोई भी तस्वीर अपलोड न करें। चेहरा/सिर ढकने वाला फोटोग्राफ, आंखों को ढकने वाले धूप के चश्मे को स्वीकार नहीं किया जाएगा। जांच के दौरान ‘ग्रुपीज़’ या ‘सेल्फ़ी’ से क्रॉप किए गए फ़ोटोग्राफ़ को भी अनुमति नहीं दी जाएगी।”
क्लेरियन इंडिया में छपी खबर के मुताबिक कुछ मुस्लिम लड़कियों के आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। उनका कहना है कि हिजाब पहनना हमारा संवैधानिक अधिकार है. उनमे से एक सोनामोनी खातून ने कहा, “मैंने कई प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिजाब पहने हुए अपनी तस्वीर का इस्तेमाल किया है। इसे कहीं खारिज नहीं किया गया। पुलिस भर्ती बोर्ड मुझे मेरे धार्मिक अधिकारों से वंचित कर रहा है।”
मुर्शिदाबाद की सुमय्या यास्मीन ने कहा कि बोर्ड उनके आवेदन को कैसे खारिज कर सकता है जब कि भारत का संविधान मुझे अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। तुहिना खातून ने मिल्लत टाइम्स से बात करते हुए कहा कि बोर्ड कैसे हमारे आवेदन को ख़ारिज कर सकता है जब कि देश का संविधान सभी नागिरकों को उसके धर्म के आधार पर जीने का और पहनने का अधिकार देता है तुहिना खातून ने कहा कहा कि उन्होंने डब्ल्यूबीपीआरबी में संबंधित अधिकारी से मिलने की कोशिश की लेकिन उन्हें कार्यालय में जाने नहीं दिया गया । पीड़ित उम्मीदवारों ने डब्ल्यूबीपीआरबी के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है और सिख धार्मिक समुदाय के उम्मीदवारों के समान ही उन्हें रियायत दी जाए।
TMC के नेता शमीम रहमानी से जब हमारी इस मामले पर बात हुई तो उन्होंने कहा कि जब बोर्ड पहले दिशा निर्देश बता चूका है तो उसका पालन करना चाहिए अगर उसके बाद भी मुस्लिम लड़कियों हिजाब पहनने की वजह से परीक्षा की अनुमति न दी जाती तो हम उनसे सवाल करते ,और उनसे पुछा जाता कि आपने किस कानून के तहत ऐसा किया है ,उन्होंने कहा ऐसा नहीं कि सिर्फ मुस्लिम लड़कियों के ही आवेदन पत्र जारी नहीं हुए हैं बल्कि 30000 हज़ार ऐसे छात्र हैं जिनके आवेदन पत्र जारी नहीं हुए हैं ,ऐसे संजय में समाज में जो लीगल सेल है उनको इन छात्रों की मदद करनी चाहिए ,और लोगों को आगे आकर ऐसे छात्रों की मदद करनी चाहिए
ऐसा ही विवाद समय-समय पर देश के किसी न किसी हिस्से में सामने आता है।ऐसा ही मामला 2017 में केरल में आया था , केरल उच्च न्यायालय ने फिदा फातिमा के मामले में फैसला सुनाया कि हेडस्कार्फ़ और पोशाक पहनकर प्रवेश परीक्षा में शामिल होना भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 द्वारा संरक्षित अधिकार है। इसके बाद, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने भी उम्मीदवारों को हेडस्कार्फ़ पहनकर परीक्षा में बैठने की अनुमति दी , बशर्ते कि वे उचित स्क्रीनिंग की अनुमति देने के लिए रिपोर्टिंग समय से एक घंटे पहले पहुंचें। .
बोर्ड के एक सदस्य बताया डब्ल्यूबीपीआरबी के दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से कहते हैं कि एक उम्मीदवार की तस्वीर सिर को ढके बिना स्पष्ट रूप से दिखाई देनी चाहिए। हमने विभिन्न कारणों से 30,000 आवेदनों को खारिज कर दिया है। इनमें सभी धर्मों के उम्मीदवार शामिल हैं। हमने उनके धर्म की जाँच नहीं की है कि वे मुसलमान हैं या सिख या हिंदू हैं। हमने पुरुषों या महिलाओं के साथ भी भेदभाव नहीं किया है।”