जामिया सलफ़िया वाराणसी के पूर्व प्रधानाचार्य की मृत्यु पर, फैकल्टी प्रथम बैच के छात्रों द्वारा वर्चुअल सभा का आयोजन

शैख नईमुद्दीन मदनी से संबंधित कुछ स्मृतियाँ तथा यादें
जीवन तथा मृत्यु अल्लाह की दी हुई एक वरदान है। तथा प्रत्येक प्राणी मृत्यु को अवश्य प्राप्त होगा क्योंकि यही विधि का विधान है जिसे कोई टाल नहीं सकता। मृत्यु के पश्चात सभी की आत्माएं अपने पुन्य, उदारता,सत्य निष्ठा,आस्था, धारणा और पापों तथा कुकर्मों के फलस्वरूप स्वर्ग अथवा नर्क में जाएंगे। यह बात अलग है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु पर उनके कुटुम्ब तथा अपने परिवार के सदस्य ही शोक प्रकट करते हैं। परंतु एक विद्वान तथा निष्ठावान शिक्षक एक सत्यवादी मित्र की मृत्यु पर पूरा संसार अपितु आकाशीय प्राणियों में भी चिंतित एवं शोकपूर्ण वातावरण उत्पन्न हो जाती है। यही कारण है कि जामिया सलफ़िया वाराणसी के पूर्व प्रधानाचार्य शैख़ नईमुद्दीन मदनी रहिमाहुल्लाह /अल्लाह उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे, की मृत्यु पर शोकपूर्ण वातावरण उत्पन्न हो गया जब आप की मृत्यु का दुखद घटना की सूचना आई आप दिल्ली एम्स में चिकित्सा के क्रम में 22 अगस्त 2021 दिनांक रविवार रात्रि 12ः00 के करीब मृत्यु को प्राप्त हो गये। इसके पश्चात चारों ओर दुखदायी समाचार प्रसारित होने लगा।

अतः दुखों को कम करने तथा अपनी स्मृति तथा यादें शैक नईमुद्दीन मदनी से संबंधित एक दूसरे से साझा करने के लिए जामिया सलफ़िया वाराणसी के फैकल्टी प्रथम बैच के छात्रों द्वारा वर्चुअल सभा का आयोजन 27 अगस्त 2021 दिनांक शुक्रवार संध्या 5ः00 किया गया जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आप के शिष्यों ने भाग लिया और अपनी अपनी विशेष स्मृति तथा स्मरण को साझा किया।

कार्यक्रम का विवरण निम्न है :
वर्चुअल सभा ज़ूम मीटिंग एप्लीकेशन के माध्यम से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
1 – एजाज़ अनवर : ने अपना शोक प्रकट करते हुए अपने शिक्षक से जुड़ी यादें इस प्रकार प्रकट किया कि ‘ शैख़ नईमुद्दीन मदनी एक अत्यंत सिद्धांतवादी तथा पूर्ण निष्ठावान व्यक्ति थे। कार्यालय तथा पठन पाठन के क्रम में अपने शिष्यों के साथ आप का अलग रवैया था। आप सदैव सच्चाई और अच्छाई का साथ दिया। हमारे जामिया से निष्कासित के निर्णय पर अत्याधिक आप ने विरोध किया। अंततः आप के द्वारा ही हम छात्र संगठन निर्दोष साबित हुए हैं’…. ।

2 – फैयाज़ आलम सिद्दीकी : ने अपने दुख प्रकट करते हुए कहा कि’ शैख नईमुद्दीन मदनी न केवल शैक्षिक जीवन के लिए अपितु मानव जीवन के लिए भी एक आदर्श एवं वास्तविक शिक्षक प्रमाणित हुए। आप सत्यवाद, स्पष्टवाद एवं सत्यप्रिय शिक्षक थे। ‘

3 – मो0 मुरसलीन अल-हिंदी : * ने अपने शोक प्रकट करते हुए सम्मानजनक शब्दों में स्पष्ट रूप से कहा कि’ जैसा कि भाई असद भाई ने बताया मुरसलीन भाई का शैख नईमुद्दीन मदनी से अधिक संबंध था… (जी बिल्कुल सत्य है क्योंकि यह उस समय की बात है जब मैं इंटर की परीक्षा से पूर्व बीमारी से ग्रसित होने पर घर चिकित्सा के लिए आया था और परीक्षा से वंचित रहा… अगले वर्ष अपने सारे प्रमाणपत्रों के साथ जामिया सलफ़िया वाराणसी में पुनः नामांकन के लिए गया तो कई दिनों तक कार्यालय के चक्कर लगाने के पश्चात भी सुनवाई नहीं हो रही थी । विचित्र एवं आश्चर्यजनक प्रमाण मांगते थे… हालांकि मेरे पास सारे प्रमाण थे… कई दिनों के पश्चात शैख नईमुद्दीन मदनी ने मुझे टोका क्या बात बाबू कई दिनों से आप कार्यालय आते हैं और यहां खड़े रहते हैं…. सारी बातों से अवगत कराया तो आप ने अनुमति पत्र पारित कर दिया और परीक्षा नियंत्रक तथा अन्य कर्मचारियों को फटकार लगाई कि जब पूर्ण प्रमाण तथा जामिया के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया तो बाधा उत्पन्न क्यों करते हो… तब से आप से मेरा लगाव और शिष्य संबंध अधिक हुआ।) उन्होंने कई कविताएं भी पढ़ी….
अधिक जानकारी देते हुए कहा कि आप से मैं बहुत प्रभावित हुआ विशेष रूप से अपने शिष्यों से बातचीत करना, पढ़ाना तथा किसी पदभार संभालने तथा उसके निष्ठा एवं मर्यादा को बनाए रख अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना आदि। अपने शिष्यों द्वारा सह़ीह़ बुख़ारी से संबंधित अवश्यक प्रश्नों के उत्तर पृष्ठ तथा पंक्ति समेत पूर्णतः संतुष्टि के साथ देते थे। आप मीरास अर्थात् वंशानुगत पुस्तक पढ़ाते थे। प्रश्न पूछने पर बताते थे मुस्कुराते हुए कि परिस्थितियां याद नहीं करोगे तो समझोगे कैसे। आप अपने शिष्यों के पास हालचाल पूछने के लिए जाया करते थे। आप कभी भी किसी शिष्य की सेवाएं भी नहीं ली। बोलने पर सीधे मना कर देते थे। आप का द्वार सभी के सदैव खुला रहता था। आप हमारे निजी मामलें के बारे में भी बातें करते थे तो हम भी पूछ लेते थे। आप मेरे थीसिस के अधिदर्शक भी थे।…..
एक लाईन कहा कि :
अब मुझे मानें या न मानें ऐ हफीज़
मानते हैं सब मेरे उस्ताद को

4 – मुजाहिदुल इस्लाम : ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि ‘शैख़ एक अच्छे शिक्षक, योजनाकार तथा समयनिष्ठ व्यक्ति थे….

5 – अब्दुल रहमान यूसुफ :जो बंग्लादेश से जुड़े थे ने अपने दुखों को प्रकट किया और कहा कि आप लोगों के लिए बहुत सरल हो सकता है जामिया सलफ़िया वाराणसी में नामांकन और पढ़ना। परन्तु मेरे लिए अत्यन्त कठिन था विशेष रूप से बंगलाभाषी होने के कारण। बता दें नामांकन के समय कुछ प्रमाण के लिए मैं बहुत परेशान था तो शैख़ नईमुद्दीन मदनी ने मेरी सहायता की थी जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता।….
इस वर्चुअल कार्यक्रम में आप के अन्य शिष्य जैसे रहमतुल्लाह, नसीम अहमद, अब्दुल अजीज, मो0 इरफान, सादिक़ुल हक़, हामिद अंसारी, हबीबुर्रहमान गुजराती, इर्शाद अबुल हसन, आफ़ताब आलम तथा असदुल्लाह आदि ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि शैख़ नईमुद्दीन मदनी अपने शिष्यों के नाम याद रखने के लिए विशेष रूप से कुछ उप नाम जैसे सादिकल वअद, बंगाली भाई आदि का प्रयोग करते थे। यात्रा के दौरान भी कभी आप शिक्षक तथा शिष्य में अंतर नहीं किया बल्कि एक हमसफ़र की भांति यात्रा किया।
आप एक अच्छे शिक्षक होने के साथ-साथ आप एक अच्छे मित्र भी थे। अल्लाह आप की आत्मा को शान्ति प्रदान करे और जन्नत फिरदौस में आप का ठिकाना बनाएं।

शैख नईमुद्दीन मदनी रहिमाहुल्लाह द्वारा लिखित पांडुलिपि :(इस्रा और मेराज) जो प्रकाशित नहीं हुआ है तथा कई अनुसंधान लेख और फतावें भी उपलब्ध है। इनमें से कुछ प्रकाशित किया जा चुका है और कुछ अभी तक प्रकाशित नहीं हुुुआ है।

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