गोल्ड मेडल ठुकराने वाली राबीहा अब्दुरहीम को देश के सभी छात्र छात्राऐं दे रहे हैं बधाई

नई दिल्ली: नागरिकता कानून के विरोध में पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी की एक टॉपर छात्रा ने गोल्ड मेडल लेने से इंकार कर दिया है। जब यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में टॉपर छात्र-छात्राओं को मेडल बांटें जा रहे थे, तभी छात्रा स्टेज पर पहुंची और वहां उसने गोल्ड मेडल स्वीकार करने से इंकार कर दिया। हालांकि छात्रा ने अपनी डिग्री स्वीकार की।

यह मैं उन छात्रों के समर्थन में करना चाहती थी
“यह मैं उन छात्रों के समर्थन में करना चाहती थी, जो CAA और NRC के विरोध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी समेत अन्य शिक्षण संस्थानों में सुरक्षाबलों का सामना कर रहे हैं।” द टेलीग्राफ से बातचीत में गोल्ड मेडल ठुकराने वाली छात्रा राबीहा अब्दुरहीम ने उक्त बातें कहीं।

इससे पहले राबीहा को दीक्षांत समारोह में बैठने की भी इजाजत नहीं दी गई। राबीहा ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आने से पहले एक महिला सुरक्षाकर्मी ने उसे बाहर बुलाया और फिर एक जगह बंद कर दिया। पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शामिल हुए थे।

वो, पांडिचेरी विश्व विद्यालय की टोपर छात्रा है, जिनका नाम “रबिहा अब्दुर्रहीम” है !
https://twitter.com/SaeedAn61146489/status/1209152637943218176?s=20

राबीहा का आरोप है कि उसे इस तरह लॉक करने की वजह भी नहीं बतायी गई। राबीहा को लगता है कि उसने सोशल मीडिया पर CAA और NRC के विरोध में कई पोस्ट की थीं। ऐसे में हो सकता है कि उसकी पोस्ट को देखते हुए उसे एहतियातन दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं होने दिया गया। जब राष्ट्रपति समारोह से चले गए उसके बाद ही राबिहा को दीक्षांत समारोह में शामिल होने दिया गया।

मैं इस तरह दुनिया की दिखाना चाहती हूं कि युवाओं के लिए शिक्षा का मतलब क्या है
राबीहा के अलावा यूनिवर्सिटी के ही एक अन्य छात्र ने भी CAA के विरोध में दीक्षांत समारोह का बहिष्कार किया था। राबीहा का कहना है कि ‘मैं इस तरह दुनिया की दिखाना चाहती हूं कि युवाओं के लिए शिक्षा का मतलब क्या है, मेडल, सर्टिफिकेट नहीं बल्कि एकता, शांति और अन्याय, फासीवाद के खिलाफ खड़ा होने की सीख ही शिक्षा है।’

बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून के तहत सरकार 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी लोगों को नागरिकता देगी। हालांकि इस कानून में मुस्लिमों को बाहर रखा गया है। यही वजह है कि लोगों में इस कानून के खिलाफ नाराजगी है और लोग बड़ी संख्या में इसका विरोध कर रहे हैं।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity