अयोध्या केस (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर गुरुवार को 36वें दिन सुनवाई हुई. कोर्ट में निर्मोही अखाड़े की ओर से सुशील जैन ने कहा कि अब यह सुनवाई 20-20 जैसी हो गई है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आपको हमने साढ़े चार दिन दिए. यहां आपको जवाब देना है तो अब आप इसे 20-20 कह रहे हैं? तो क्या आपकी पिछली बहस टेस्ट मैच थी? सुशील जैन ने कहा कि हमारा दावा आंतरिक अहाते को लेकर है, क्योंकि बाहर तो हमारा अधिकार और कब्ज़ा था ही. हमने बाहर के पजेशन के लिए अर्ज़ी नहीं लगाई है क्योंकि वह तो पहले से ही हमारे पास था..
अखाड़े के जवाब शुरू होने से पहले ही मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि जवाब में मेरा नाम गलत लिखा हुआ है. सुशील जैन ने कहा कि मेरी दलीलें और जवाब थोड़े पेचीदा हैं. इस पर जस्टिस नज़ीर ने हंसते हुए कहा कि आप चिंता ना करें आप हारते भी हैं तो आप जीतने वालों की तरफ ही होंगे. यानी कोर्ट का आशय था कि हिन्दू अखाड़ा और सेवायत होने की वजह से आपको भी लाभ मिल सकता है.
हिन्दू पक्षकार श्री राम जन्मस्थान पुनरुत्थान समिति के पीए मिश्रा ने जवाब देते हुए भूमि की शास्त्रीय व्याख्या की. उन्होंने कहा कि इमारत भी भूमि की श्रेणी में आती है. लेकिन स्थान का मतलब देवता का भवन या धाम भी होता है. राजीव धवन ने कहा कि इस दलील का कोई मतलब नहीं क्योंकि भूमि की हिन्दू व्याख्या और शब्दकोश अलग है और मुस्लिम डिक्शनरी अलग.
भूमि के देवता होने की सात मौलिक शर्तों और व्याख्या पर मिश्रा के ताजा दस्तावेज कोर्ट ने खारिज कर दिए. कोर्ट ने कहा कि ये सब पहले क्यों नहीं बताया, जो अब कोर्ट के सामने लाए हैं. इस चरण में हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप देवता की मूर्ति की पूजा करते हैं न कि अमूर्त चीजों की! चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप यहां क्या संवैधानिक मसला बताना चाहते हैं. हम पांच जज बैठे हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि ये संविधान पीठ है, ये सिर्फ पांच जजों की बेंच है. आम तौर पर ऐसे मुद्दों की सुनवाई दो जजों की बेंच करती है, लेकिन पांच जजों की बेंच इस मुद्दे की संवेदनशीलता और अहमियत को देखते हुए सुनवाई कर रही है.
सीजेआई ने कहा कि यह पहली अपील है. हम यहां सिर्फ टाइटल सूट को सुनने बैठे हैं. अब नई-नई चीजें बताने का समय नहीं है. कोर्ट ने मिश्रा को बैठने को कहा और निर्मोही अखाड़े के सुशील जैन से अपना जवाब देने को कहा.
इससे पहले हिंदू पक्षकार की ओर से नरसिंहन ने स्कन्दपुराण के अयोध्या महात्यम के श्लोक ‘तस्मात स्थानेषाणे रामजन्म प्रवर्तते. जन्मस्थाम इदं प्रोक्तं मोक्षादि फलसाधनम..’ उदधृत करते हुए कहा कि अयोध्या में राम जन्म स्थान की यात्रा मोक्षदाई है. मोक्ष हिन्दू दर्शन के चार पुरुषार्थों में से आखिरी है. नरसिंहन मने कहा कि यह अकेली जगह नहीं जहां मंदिर के साथ मस्जिद बनाई गई है. उनका मकसद रहा कि हम राम के अपनी श्रद्धा भूल जाएं. इतना होने के बावजूद हिंदुओं की आस्था यहां लगातार बनी हुई है..INPUT(NDTV)