कुंभ मेला:आजतक के महिला पत्रकार के सवाल पर साधू ने दिखा दिया प्राइवेट पार्ट

मिल्लत टाइम्स::आजतक की एक महिला रिपोर्टर को प्रयागराज के कुंभ में उस समय शर्मिंदा होना पड़ा जब एक साधू ने पत्रकार के सवाल पर ऐसा किया जिससे पत्रकार भी सन्न रही गयी और उई माँ कहते हुए भागती नजर आई वही आस पास खड़ी भीड़ हंसती रही है
ये है मामला-आजतक की महिला पत्रकार एक नागा साधू का इंटरव्यू ले रही थी अचानक पत्रकार ने नागा साधू के गमछा पहनने पर सवालिया लहजे में कहाकि नागा बाबा तो कुछ पहनते नही फिर आप ने (गमछे की तरफ इशारा करते).अब ये सुनकर नागा साधू ने ना आव देखा ना ताव और अपना गमछा उतार फेंका.

साधू के इस कृत्य को देखकर महिला पत्रकार शर्मिंदा हो गयी और मुहं फेरते हुए कहा.’इसे ना उतारे,इसे ना उतरिये’कहती हुई भागती दिखी वही आस पास खड़े लोग इस दृश्य पर हँसते दिखे.लेकिन पत्रकार को क्या पता था जब ये सब हो रहा था तभी कुछ लोग घटना का विडियो बना लिए और विडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.

दरअसल नागा साधू अपने बारह साल के संकल्प के बारे में बता रहा था वही महिला रिपोर्टर ने इस पर कहाकि आपने तो गमछा पहन रखा है.ये सुनते ही साधू ने अपना प्राइ-वेट पार्ट भी दिखा दिया जिसे देखकर पत्रकार भागती दिखी और लोग हंसते रहे.

इस घटना पर बहुत से पत्रकार ने अपनी टिप्पड़ी दी है जिसका संकलन भड़ास फॉर मीडिया नाम के पोर्टल ने किया हैउसके अंश नीचे दिए है.इलाहाबाद के पत्रकार सुरेश पांडेय ने लिखा-टिवटर पर साझा किया गया एक वीडियो देखा… एक मोहतरमा रिपोर्टर नागा संन्यासी के साथ माइक लिए चल रही थीं। सवाल किया –आपने तो 12 साल का व्रत लिया है फिर शरीर पर कपड़े क्यों… बाबा जी ने झट कपड़ा उतार दिया –दिगंबर हो गए.

यही आज के मीडिया का सच है.यह सच नहीं देखना चाहता.सच है कि सच के पास जाना जोखिम होता है,इसलिए हम सच नहीं कहते.सच नहीं बोलते.स्वांग करते हैं सच बोलने का.मेरे जैसे लोग जिन पर परिवार -घर की जिम्मेदारी होती है,इसीलिए लाट डाट डपट सब सहते हैं
रात में मर जाएं घर से दफ्तर जाते समय, किसी को कोई परवाह नहीं.आखिर नौकरी की है ना… जिसमें पहला कायदा यह है कि ना नहीं कहना है.हां यह बात सच है कि नहीं करने वाले भी हैं मीडिया में.नवभारत में मेरे संपादक रहे श्याम बेताल जी कहते थे कि जो करता है क्यों नहीं करेगा और जो नहीं करता है वह क्यों करेगा…सही बात है सर… आपने सच कहा था.

उन्होंने आगे लिखा कि मैं अपना सच नहीं कह सकता आज.दूसरे का सच नहीं सुन सकता और हां दिगंबर भी नहीं हो सकता.इसे मेरी कायरता समझ लें.वैसे कहूंगा जरूर एक दिन, शायद छह साल बाद पूर्ण कुंभ में.तब तक जिंदगी रूपी कुंभ में विषपान करता रहूंगा.अपयश रूपी.

इस घटना के बाद एक बार फिर जहाँ पत्रकार के उल फिलुल सवालों पर लोग सवालिया निशान लगा रहे है वही सोशल मीडिया पर कई लोगो ने लिखा आखिर नागा बाबा को बिना कपडे की रहने की क्यों छुट है क्या मोदी इस पर कोई सामाजिक सुधार करेंगे.(इनपुट जनता की आवाज)

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity