गुजरात के मोरबी हादसे में इन तीन मुसलमानों ने बचाई कई जिंदगियां…

नई दिल्ली,  गुजरात के मोरबी में रविवार रात को मच्छु नदी में एक बड़ा हादसा हुआ, जहां केबल ब्रिज टूटने से 141 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। लेकिन इस घटना के दौरान कुछ मुसलमानों ने हिंदू- मुस्लिम की एकता की मिसाल कायम की।

उन्होंने बिना धर्म जाति देखें 35 से ज्यादा लोगों की जान बचाई। दरअसल हादसे के वक्त पुल पर 400 से ज्यादा लोग मौजूद थे। रेस्क्यू के लिए सेना, नेवी, एयरफोर्स, एनडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, एसडीआरएफ की टीमें मौजूद रही। इसके साथ ही स्थानीय लोग भी रेस्क्यू के लिए जुटे हुए है। इनमें से एक हैं तौफीक भाई। वह अस्पताल में अपनी बेटी की डिलीवरी करवाने आए हुए थे। तौफीक भाई ने हादसे के बाद न धर्म देखा और ना जाति, तौफीक भाई हर किसी की लगातार मदद कर रहे थे, वह इंसानियत की मिसाल बनकर उभरे।

उनका कहना है कि हिंदू या मुस्लिम की बात नहीं, इंसानियत की बात होनी चाहिए। तौफीक भाई ने हादसे में घायल 35 से अधिक बच्चों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की, वह अपनी बेटी के दर्द को भूलकर बाकी लोगों के दर्द में शरीक हो गए और जान बचाने की मुहिम में जुटे हुए हैं।

Aajtak की रिपोर्ट के मुताबिक तौफीक भाई ने कहा कि यहां जाति-मजहब की बात नहीं है, यहां इंसानियत की बात है और हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। तौफीक भाई के अलावा चाय वाला राजू भी देर रात से ही लोगों की मदद में जुटा रहा। राजू हादसे के वक्त मौके पर ही थे।

ब्रिज को टूटा हुआ देखा तो लोगों की मदद के लिए लिए राजू ने बिना सोच समझे लोगों की जान बचना शुरू कर दी। उनकी गोद में ही एक बच्ची ने दम तोड़ दिया। राजू ने 10 से ज़्यादा लोगों को बाहर निकाला। वहीं हुसैन पठान नाम के तैराकी ने कम से कम 50 लोगों की जान बचाई है। इससे पहले बंगाल के जलपाईगुड़ी में विसर्जन के दौरान अचानक वॉटर के कारण हादसा हुआ था, जिसमें एक मुस्लिम शख्स ने बिना अपनी जान की परवाह किए 10 से ज्यादा लोगों की जान बचाई थी।

जिस तरह मुसलमानों के लिए इन दिनों नफरत फैलाई जा रही यह खबर उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो धर्म की राजनीति करते है। तौफीक और राजू, हुसैन पठान, की सोशल मीडिया पर तरीफ हो रही है।

बता दें मोरबी पुल दुर्घटना मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 8 लोगों को हिरासत ले लिया है और उनसे पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस ने पुल के ठेकेदार, मैनेजर, सुरक्षाकर्मी, टिकट लेने वाले व अन्य को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। इस हादसे को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि जब 100 से 150 लोगों के पुल पर सवार होने की क्षमता थी तो 500 लोगों को वहां जाने की इजाजत क्यों दी गई। बता दें कि इस पुल पर घूमने के लिए 600 लोगों ने टिकट खरीदे थे।

मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है। यह सस्पेंशन ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था।

यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से 1880 में बनकर तैयार हुआ था। उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। इसके बाद इस पुल का कई बार रेनोवेशन किया जा चुका है। हाल ही में दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ की लागत से किया गया था।

 

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