नई दिल्ली, जमीयत-ए-उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि दुनिया का कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के मकसद को नहीं समझ सकता, इसलिए मदरसों के किसी बोर्ड से जुड़ने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। सहारनपुर जिले के देवबंद में वाके दारुल उलूम की रशीदिया मस्जिद में आयोजित मदरसा संचालकों के सम्मेलन को खिताब किया गय।
जिसमें मौलाना मदनी ने कहा कि मदरसों को किसी भी सरकारी मदद की जरूरत नहीं है। उन्होंनं मदरसों को किसी भी बोर्ड से संबद्ध किए जाने की मुखालिफत की है। यूपी सरकार द्वारा कराए गए मदरसों के सर्वे के बाद दारुल उलूम सहित गैर सरकारी मदरसों को गैर मान्यता प्राप्त बताए जाने के बाद यह बयान दारुल उलूम की तरफ से आया है।
देश भर के साढ़े चार हजार मदरसा संचालकों के सम्मेलन को खिताब करते हुए अरशद मदनी ने कहा कि दारूल उलूम सहित उलमा ने मुल्क की आजादी में जो किरदार निभाया है इसका मकसद ही सिर्फ देश की आजादी थी। उन्होंने कहा कि मदरसों के लोगों ने ही आजादी में अहम भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि आज मदरसों पर ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं, और मदरसे वालों को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिशें की जा रही है। मदनी ने कहा कि मदरसों और जमीयत का मुल्क की सियासत से रत्ती भर भी वास्ता नहीं है। हमने मुल्क की आजादी के बाद खुद को इस काम से अलग कर लिया था।
मौलाना मदनी साहब ने कहा कि आज दारुल उलूम की तामीरी कामों पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं, जबकि इससे पहले निर्माण की एक ईंट लगाने के लिए किसी की इजाजत नहीं लेनी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि मदरसों में पढ़ाई का खर्च कौम उठा रही है। आगे भी उठाती रहेगी और हम हिमालय से ज्यादा मजबूती से खड़े रहेंगे।
उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देशभर में मदरसों का सबसे बड़ा संगठन है और इससे 4500 मदरसे जुड़े हैं, जिसमें 2100 मदरसे उत्तर प्रदेश से हैं। पिछले 29 अक्टूबर को कुल हिन्द राब्ता एक मदारिस-ए-इस्लामिया की कार्यकारी कमेटी की बैठक दारुल उलूम देवबंद मे हुई थी।
सम्मेलन की सदारत करते हुए दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (कुलपति) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा था, ’’मदरसे तालीमी निजाम को पुराने पाठ्यक्रम की बुनियाद पर ही रखें, अगर पाठ्यक्रम में तब्दीली हुई तो मदरसे अपने असली मकसद से भटक जाएंगे। उन्होंने कहा कि कुछ नासमझ लोग मदरसों में मॉडर्न तालीम की बात करते हैं, ऐसे लोगों से मुतासिर होने की कोई जरूरत नहीं है। हम एकजुट होकर पाठ्यक्रम में तब्दीली को नकारते हैं।