नई दिल्ली (रुखसार अहमद) AIMIM के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कलीमूल हफीज ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अरविंद केजरीवाल सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने उर्दू-पंजाबी शिक्षकों की नियुक्ति के नीति में भेदभावपूर्ण तरीका अपना रही है।
इसके लिए केजरीवाल को माफी मांगनी चाहिए. केजरीवाल सरकार अल्पसंख्यक विरोधी सरकार है। दिल्ली में उर्दू पंजाबी के 1500 पद खाली हैं। यह पद सिर्फ दिल्ली सरकार की भेदभावपूर्ण नीति की वजह से है।
कलीमूल हफीज ने कहा कि केजरीवाल सरकार मसले का हल निकालने की जगह मनमानी करके दिल्ली में उर्दू पंजाबी शिक्षकों को संकट में बनाए रखना चाहती है। दिल्ली सरकार की पॉलिसी में उन उम्मीदवारों को राहत नहीं दी गई जो इस भेदभावपूर्ण नीति का शिकार हुए हैं।
इस नीति को भविष्य में लागू करने का ऐलान करना अन्याय है। सीएम केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने उर्दू पंजाबी को लेकर जो पॉलिसी बनाई थी वह फेल हो चुकी है। इसलिए हमारी मांग है कि केजरीवाल को इस मामले पर माफी मांगनी चाहिए।
कलीमुल हफीज ने कहा कि साल के आरंभ में डीएसएसपी द्वारा निकाली गई भर्तियों में उर्दू के लिए सिर्फ 177 और पंजाबी के लिए सिर्फ 138 उम्मीदवार ही सफल हो पाए थे। सरकार के इस भेदभाव और गलत नीति के विरोध में मजलिस ने आवाज उठाई थी और मांग की थी कि इस गलत पॉलिसी को बदला जाए। दिल्ली सरकार ने अपनी गलती मानने और फैसला लेने में 6 महीने का लंबा समय लगा दिया। इससे छात्रों को नुकसान हुआ। क्योंकि उनको शिक्षक नहीं मिली, उनकी शिक्षा को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा ?
कलीमुल हफीज ने कहा कि मौजूदा मैरिट को इस्तेमाल और लागू करके मुद्दे का हल निकाला जा सकता है। इससे दिल्ली में शिक्षकों की कमी का संकट काफी हद तक हल हो सकता है। दिल्ली सरकार शिक्षा को लेकर हमेशा अपनी पीठ थपथपाती है, लेकिन काम नहीं करती है।