नई दिल्ली: जामिया हमदर्द में आज “आयुष पेशेवरों के कौशल विकास” पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, इस तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन सत्र हकीम अब्दुल हमीद सभागार में आयोजित किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य आयुष पेशेवरों को आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान करना है।
इस संबंध में, मानक परियोजना लेखन, नैदानिक अनुसंधान पांडुलिपियों की तैयारी, अनुसंधान परिणामों के पेटेंट हासिल करने के चरणों और चिकित्सीय उपचार के बिंदुओं पर विशेषज्ञों के भाषण प्रस्तुत किए जाएंगे।
कार्यशाला का आयोजन जामिया हमदर्द के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर यूनानी मेडिसिन, फार्माकोग्नॉसी एंड
फार्माकोलॉजी, स्कूल ऑफ यूनानी मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च और स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, फार्मेसी के क्षेत्र में भारत की प्रथम संस्था के सहयोग से किया गया। प्रो. असिम अली खान, महानिदेशक, सीसीआरयूएम, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में और डॉ. मुख्तार अहमद कासमी, सलाहकार (यूनानी) आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और प्रो अब्दुल वदूद, निदेशक, राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान, बैंगलोर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया।
बैठक की अध्यक्षता वाइस चांसलर प्रो. डॉ. मुहम्मद अफशार आलम ने की। प्रो. एस.एम. आरिफ जैदी, आयोजन अध्यक्ष और डीन, यूनानी चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान स्कूल, डॉ. सईद अहमद, आयोजन सचिव, केंद्र समन्वयक, स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च और जामिया हमदर्द के रजिस्ट्रार श्री सैयद सऊद अख्तर उपस्थित थे। यह कार्यशाला आयुष पेशेवरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण कौशल विकास के मुद्दों पर केंद्रित होगी। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में देश के प्रमुख वैज्ञानिक, शिक्षक, डॉक्टर, दवा उद्योग से जुड़े लोग और छात्र भाग ले रहे हैं।
जामिया हमदर्द पेशेवर शिक्षा का एक प्रतिष्ठित संस्थान है जिसमें यूनानी चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान स्कूल को हाल ही में आयुष मंत्रालय द्वारा अपनी नैदानिक सेवाओं की प्रशंसा स्वरूप ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ से सम्मानित किया गया है। स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च को लगातार चौथे वर्ष नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क द्वारा भारत का शीर्ष रैंकिंग संस्थान घोषित किया गया है।
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. आसिम अली खान ने कुलपति जामिया हमदर्द को इस सफलता के लिए बधाई दी और कहा कि आज के दौर में आयुष प्रणाली की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, इस कार्यशाला के माध्यम से यूनानी चिकित्सकों के कौशल को बढ़ाया जाएगा जिसके कारण वह और बेहतर तरीके से जनता को लाभ पहुंचा पाएंगे।
उन्होंने प्रतिभागियों को यूनानी चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई पहल और वित्तीय सहायता के बारे में बताया और सीसीआरयूएम के विभिन्न केंद्रों के कौशल पर प्रकाश डाला। डॉ. मुख्तार अहमद कासमी ने कहा कि कोविड रोग ने हमें विभिन्न स्वदेशी दवाओं की प्रभावशीलता पर ध्यान देने की आवश्यकता से अवगत कराया है जिसके माध्यम से न केवल उपचार के लिए बल्कि रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने के लिए भी स्वदेशी दवाओं का उपयोग किया जा रहा है।
यूनानी चिकित्सा में उपचार सरल, सुरक्षित और प्रभावी हैं, जिनकी सहायता से हम सतत विकास लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। आधुनिक जीनोम अनुसंधान द्वारा यूनानी चिकित्सा के मिज़ाज सिद्धांत को सही सिद्ध किया जा रहा है। डॉ. अब्दुल वदूद ने आधुनिक विज्ञान के एकीकरण पर जोर दिया और इस संदर्भ में डॉ. सईद की प्रयोगशाला की प्रशंसा की।
वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉ. मुहम्मद अफशार आलम ने कहा कि यूनानी चिकित्सा का उपचार बहुत कारगर है। साथ ही उन्होंने अच्छे शोध प्रोजेक्ट लिखने के लिए शिक्षकों की आवश्यकता पर जोर दिया और इसके लिए जामिया हमदर्द के अन्य वैज्ञानिक विभागों के सहयोग का भी आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा नीति में एकीकरण पर बहुत जोर दिया गया है, इस केंद्र की स्थापना और इस तरह की कार्यशाला का आयोजन नई शिक्षा नीति के अनुरूप है और यह जामिया हमदर्द का एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम के अंत में जामिया हमदर्द के रजिस्ट्रार सैयद सऊद अख्तर ने सभी अतिथियों और प्रतिनिधियों का धन्यवाद किया.
मोहम्मद तौहीद आलम
जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ)
जामिया हमदर्द
हमदर्द नगर