नई दिल्ली ( रुखसार अहमद) महाराष्ट्र के नागपुर में एक बूढ़ी विधवा ने अपनी दो बेटियों के साथ इस्लाम धर्म को कबूल कर लिया है। विधवा ने अपनी मर्जी से बिना किसी दबाव में आकर हिंदू धर्म छोड़ा है, लेकिन यह बात कुछ हिंदूवादी संगठनों को पंसद नही आई।
अब महिला और उसकी बेटियों पर उनका घर खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है। विधवा ने इस बात को कम से कम एक महीने तक छुपाकर रखा था। जबसे उसके रिश्तेदारों को पता चला है, उन्होंने कुछ हिंदू दल के लोगों के साथ मिलकर उन्हें घर और इलाका खाली करने की धमकी दी है।
इतना ही नहीं उन्होंने शर्त रखी है की अगर वह हिंदू धर्म वापस से अपनाती है तो उन्हें यहां रहने दिया जाएगा। दरअसल बीते कुछ दिनों से कम्प्ती इलाके में धर्म को लेकर विवाद जारी है, कुछ लोग यहां नुपुर शर्मा की पोस्त का समर्थन करते नजर आए थे, और मुसलमानो को भी टरगेट किया गया था। इलाके में सांप्रदायिक तनाव हो गया था।
नवभारत की खबर के मुताबिक विधवा महिला के पति को लकवा का दौरा पड़ा था और आखिरकार कुछ साल पहले उनका निधन हो गया। पति की मौत के बाद वह आर्थिक रूप से कमजोर पड़ गई थी। कॉलेज में पढ़ने वाली अपनी बेटियों के साथ, महिला को गुजारा करने के लिए संघर्ष का सामना करना पड़ा रहा था।
ऐसा में उनकी मदद उनके घर के सामने रह रहे एक मुस्लिम युवक ने की थी। विधवा का परिवार मुस्लिम दुकान मालिक की मदद पर निर्भर होने लगा था, जिसे महिला अपना बेटा कहने लगी। युवक ने परिवार को अपनी दुकान के परिसर में शरण दी है, जब तक उनका कहीं और रहने का इंतजाम नहीं हो जाता है।
जब महिला और उसकी बेटियों ने इस्लाम अपनाने का फैसला किया, तो हंगामा शुरू हो गया। परिवार के धर्म परिवर्तन के लिए युवक को पूरी तरह से दोषी ठहराया गया था। युवक ने कहा, ‘हमारे बीच एक परिवार जैसा बंधन है जिसका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। जब तक किसी का इस्लाम के प्रति गहरा लगाव नहीं होता, तब तक धर्म इस तरह के धर्मांतरण को स्वीकार नहीं करता है। यह लोग अपनी मर्जी से इस्लाम में आना चाहते है, मैने इनके साथ कोई जबर्दस्ती नहीं की है।
मुस्लिम युवक ने पिछले साल दिसंबर में अपने समुदाय में शादी की थी। उसने कहा, ‘मैं महिला के साथ मां-बेटे का रिश्ता साझा करता हूं और उसकी बेटियों को अपनी बहनें मानता हूं। मैंने केवल परिवार को खाली नैतिक समर्थन दिया है।’
दुकान के मालिक ने कहा कि विधवा के रिश्तेदार चाहते थे कि वह अपना घर खाली कर दे, और घर में आने वाले हर रिश्तेदार उसके ऊपर हिंदू धर्म में लौटने का दबाव बनाने लगे। युवक ने बताया, ‘कुछ वयस्क नागरिकों ने अपने संवैधानिक अधिकार के रूप में धर्म को चुना है। कोई उन्हें कुछ और चुनने के लिए क्यों कह रहे है?’
इस बीच, हिंदू संगठन के लोगों ने कहा कि कम्प्ती में धर्मांतरण बड़े पैमाने पर हुआ है। सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान आकर्षित करते हुए एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘हमें कुछ युवाओं को अपने मूल समुदाय से जुड़े रहने और धर्म परिवर्तन नहीं करने के लिए राजी करना पड़ा।’
ओल्ड कम्प्ती पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक राहुल सायर ने कहा कि पुलिस उन लोगों के नाम और विवरण मांग रही है जिन्होंने धर्म परिवर्तन किया है या जो लोग धर्म परिवर्तन के लिए उकसा रहे हैं। हालांकि अभी तक उकसाने वालों के नाम सामने नहीं आए हैं।