नई दिल्ली :(अजहर ईमाम) मदरसा फैजुल उलूम मालाबगांव में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील महमूद प्राचा पहुंचे थे। उन्होंने अपने बयान में कहा कि “इल्म हासिल करने के लिए जो पैगाम-ए-इस्लाम है इस्लाम का सामाजिक संदेश है इंसाफ़, बराबरी इसके लिए जद्दोजहद करना यह एक इमान का हिस्सा है।
हमारे कानून और संविधान में इतनी ताकत है कि हम हर एक को इंसाफ दिला सकें, बिना तशद्दुद के सिर्फ और कानूनी तरिके से। इस्लाम के मानने वाले तालिब-ए-इल्म उनसे सबसे बड़ी तवक्को इस्लाम करता है वो यह है कि आप हर एक मजलूम की अवाज बनो।
हजरत मोहम्मद साहब ने इल्म के लिए ‘चीन’ तक जाने को कहा था। ‘ला इलाहा इल्लल्लाहमुहम्मदुर्रसूलुल्लाह’ के साथ साथ हर एक मुसलमान का यह फ़र्ज है कि वो इंसाफ़ के लिए जद्दोजहद करते रहे। ताकि कयामत में उसका जब हिसाब किताब होगा तो उसके हिसाब किताब में इंसाफ़ और बराबरी के लिए क्या-क्या उन्होंने काम किए, किस किस मजलूम के लिए उसने क्या काम किए, इस बात को सबसे पहले तर्जी दी जायेगी।
आज हमारा मुल्क दोराहे पर खड़ा हुआ है उसमें मैं यह समझता हूँ। कि जितने भी मजलूम तबकात हैं जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी, अकलियत, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और इसके अलावा जो ख्वातिन हैं, ये सब माजलूम हैं और यह हमारे मुल्क का 92.5% हिस्सा है। इन सभी लोगों के साथ आज ज्यादती हो रही है।
आज हमारा मुल्क भी कमजोर हो रहा है इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कुछ ताकतें मिलकर हमें आपस में लड़ा रहे हैं। अब यह आपकी जिम्मेदारी है कि एससी, एसटी, ओबीसी मिलकर आपस में मोहब्बत पैदा करो, उनके साथ मिलो अपने घर परिवार की भी तरक्की के लिए काम करो। यही इस्लाम का असली संदेश है जो आप लोगों को फ़ैलाना है।
आज जो माहौल हमारे मुल्क में चल रहा है आप लोगों की भी जरूरत है कि हम लोग शांति से प्रोटेस्ट करें। बाबा साहब अंबेडकर ने हमारे मुल्क को एक ऐसा संविधान दिया है जिसके बदौलत हमारे मुल्क में सब आज़ाद है। हर एक मजहब के मानने वाले इस बात के लिए आज़ाद है कि वो अपनी मजहब को अपने तरीके से अमल करे।
हिंसा की हमारे मुल्क में कोई गुंजाईश नहीं रह गई। आज हमारे मुल्क में जितने भी ‘इदारे’ हैं उन्हें कमजोर किया जा रहा है। लेकिन बावजूद इसके हमारे संविधान में इतनी ताकत है कि हम हर एक को इंसाफ दिला सकें।
शाहिद और राशिद भी हमारे मुल्क के आज़ादी के सिपाही हैं इसलिए उन्हें जेल में डाला गया क्योंकि वह मेवात में हमले के वक्त जो देश के और मेवात के दुश्मन थे उन्होंने अपना दुश्मन माना, शाहिद और राशिद का कोई गुनाह नहीं था यह अदालत ने साबित कर दिया”।