नई दिल्ली, ब्रिटिश फिल्म द लेडी ऑफ हेवेन रिलीज के बाद से ही लगातार विवादों में है। पैगंबर मोहम्मद की बेटी पर बनी फिल्म के रिलीज़ होते ही फिल्म को बैन करने को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
ब्रिटेन की सरकार ने ‘द लेडी ऑफ हेवन’ फिल्म को बैन करने के लिए चलाए जा रहे अभियान का समर्थन करने के लिए इमाम कारी आसिम को सलाहकार के पद से हटा दिया है। इमाम कारी आसिम सरकार के इस्लामोफोबिया सलाहकार थे और मुस्लिमों के प्रति घृणा रोकने के लिए बनी वर्कफोर्स के उपाध्यक्ष भी थे।
स्क्रीनिंग की गई रद्द
शिया मुस्लिम समुदाय से आने वाले कुवैत के यासिर अल-हबीब द्वारा लिखित यह फिल्म 3 जून को ब्रिटेन में रिलीज हुई थी। इसके रिलीज होते ही ब्रिटेन के कई इलाकों में इसे लेकर प्रदर्शन होने लगे।
बर्मिंघम, बोल्टन, ब्रैडफोर्ड और शेफील्ड में प्रदर्शनों के चलते वहां के सिनेमाघरों ने फिल्म की स्क्रीनिंग रद्द कर दी गई।
द लेडी ऑफ हेवेन के निर्माता मलिक श्लिबक ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि यह फिल्म लेडी फातिमा के जीवन, उनके संघर्ष और जिस यात्रा से वह गुजरी हैं उसकी कहानी कहती है। मलिक ने कहा, ‘जैसा कि मुझे लगता है कि लेडी फातिमा हमारे इतिहास में सबसे अच्छी शख्सियत हैं, जिससे हम काफी कुछ सीख सकते हैं। हम सीख सकते हैं कि कैसे चरमपंथ, कट्टरता और भ्रष्टाचार जैसी चीजों से निपटा जाए। और हमें लगा कि इस कहानी को दुनिया के सामने कहना बेहद जरूरी है।
वहीं ब्रिटिश फिल्म ‘द लेडी ऑफ हेवन’ (The Lady Of Heaven) को लेकर ब्रिटेन में विवाद गहरा गया है. फिल्म को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. फिल्म पर ईशनिंदा (Blasphemous) का आरोप लगाया जा रहा है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस फिल्म पर रोक लगनी चाहिए, इसमें इस्लामिक लीडर्स को गलत रूप से दिखाया गया है।
क्या है फिल्म का मामला
दरअसल, ब्रिटिश फिल्म द लेडी ऑफ हेवन पैगंबर मोहम्मद की बेटी सय्यादा फातिमा की कहानी पर आधारित है। इस फिल्म के प्रोड्यूसर मौलवी यासर अल-हबीब हैं जो की एक शिया मुसलमान हैं।
सुन्नी मुसलमानों का कहना है की इस फिल्म में 1400 साल पहले के ज़माने के बुजुर्गों को गलत अंदाज में दिखाया गया है, उनकी तुलना इराक के इस्लामिक संगठन ISIS के लोगों के साथ की गई है। उन्होंने सुन्नी समुदाय के लोगों को बहुत गलत तरीके से चित्रित किया है।
आपको बता दें कि ‘द लेडी ऑफ हेवन’ को लेकर कई इस्लामिक देशों के साथ-साथ अन्य देशों में भी बवाल मचा हुआ है। इस फिल्म को मिस्र, मोरक्को और पाकिस्तान में बैन कर दिया गया है, जबकि ईरान के इस्लामिक जानकारों ने इस फिल्म को देखने वालों के खिलाफ फतवा जारी किया है।
कई लोगों ने इस फिल्म को ईशनिंदा बताया है। उनका मानना है कि यह फिल्म इस्लाम पर गलत जानकारी फैला रही है।