नई दिल्ली, मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दो नई याचिकाएं दायर कर यूपी सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की कि राज्य में उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई और निर्माण न गिराया जाए तथा इस तरह की कवायद पर्याप्त नोटिस देने के बाद ही करे।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद इससे पहले जहांगीरपुरी इलाके में इमारतों को ढहाने के मुद्दे पर याचिका दायर की थी। इन आवदनों में कहा गया है कि मामले में पिछली सुनवाई के बाद कुछ नए घटनाक्रम हुए हैं, जिनके बारे में इस अदालत का ध्यान आकर्षित करने की जरूरत पड़ी है।
एक याचिका में कहा गया है, ‘कुछ दिनों पहले दो नेताओं द्वारा कुछ टिप्पणियां (पैगंबर मोहम्मद को लेकर) की गई थीं, जिन्हें लेकर देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया। दोनों नेताओं की टिप्पणियों के विरोध में कानपुर में कुछ लोगों द्वारा बंद का आह्वान किया गया था।
याचिका के मुताबिक, ‘बंद के दिन हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच झड़प और पथराव हुआ। कानपुर में हिंसा के बाद कई अधिकारियों ने मीडिया में कहा है कि पकड़े गए लोगों की संपत्ति को जब्त कर उसे ध्वस्त कर दिया जाएगा। यहां तक कि राज्य के मुख्यमंत्री ने भी मीडिया में कहा है कि आरोपियों के घरों को बुलडोजर के जरिए ये ध्वस्त किया जाएगा।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह के अवैध उपायों को अपनाना स्पष्ट रूप से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, खासकर उस सूरत में, जब शीर्ष अदालत वर्तमान मामले की सुनवाई कर रही हो।
इसमें कहा गया है, ‘मौजूदा मामले में यह ध्यान देने योग्य है कि इस माननीय न्यायालय ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में समान परिस्थितियों में एक दंडात्मक उपाय के तौर पर किए जा रहे विध्वंस पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसलिए, यह देखते हुए कि उपरोक्त मामला फिलहाल इस माननीय न्यायालय के समक्ष लंबित है, ऐसे उपायों पर अमल करना और भी खतरनाक है।
याचिका के अनुसार, ‘किसी भी तरह का विध्वंस अभियान स्पष्ट रूप से निर्धारित कानूनों के तहत और केवल इस न्यायालय द्वारा अनिवार्य रूप से प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को उचित नोटिस व सुनवाई का अवसर दिए जाने के बाद ही चलाया जाना चाहिए।