दो साल पहले अखलाक का हाथ काटकर उसे ही बना दिया था आरोपी, अब कोर्ट ने बेगुनाह करार दिया

नई दिल्ली : (रुखसार अहमद)  देश में मुसलमानों के साथ हो रहे जुल्म के मामले अब बढ़ते जा रहे है। पहले उन्हें सच्चाई बिना जाने सजा दे दी जाती उसके बाद उन्हें बेगुनाह साबित कर दिया जाता है। ऐसी ही एक घटना सामने आई है।

जहां दो साल पहले हरियाणा में अखलाक का हाथ सिर्फ इसलिए काट दिया गया क्योंकि उसके हाथ पर 786 लिखा था। पहले हिंदू सगंठन के लोंगो ने उसे बेरहमी से पीटा उसके बाद उसका हाथ काट दिया गया।

यह मामला 24 अगस्त 2020 में पानीपत में हुआ था। अखलाक का हाथ काटकर उसे रेलवे ट्रैक के पास फेंक दिया गया था। वहीं अखलाक का हाथ काटने के बाद आरोपी भी उसे ही बनाया गया था। अख़लाक़ को Molester बताकर FIR दर्ज करा दी गई थी। मीडिया ने भी उसी FIR के आधार पर अखलाक को  Molester बताते हुए उसे आरोपी साबित कर दिया था।

अखलाक पर हिंदू पक्ष ने  आरोप लगाते हुए कहा था कि उसने छोटे बच्चे के साथ गलत हरकत की जिसकी वजह से उसे पीटा गया है, अगर मान लो अखलाक ने ऐसा कुछ किया था, पहले उसकी जांच होती उसके बाद उसे सजा दी जाती। लेकिन उसके हाथ काट देने कहा का इंसाफ था। बता दें कि अब दो साल बाद कोर्ट ने इस मामले सुनावई करते हुए अखलाक को बेगुनाह करार दिया है।

बिना जुल्म किए अखलाक को दो साल लग गए अपनी बेगुनाही साबित करते हुए। हैरानी की बात यह है कि जुल्म भी उसी पर हुआ दोषि भी उससे ही बनाया गया। सवाल यह उठता है क्या मुसलमान होना इतना बड़ा गुनाह है कि बिना जुल्म साबित हुए पहले दोषि करार दे दी जाए, बाद में उनका समय खराब करने के बाद उन्हें बेकसूर साबित किया जाए।

यह कोई ऐसे पहला मामला नहीं जहां अखलाक को मुस्लिम होने की सजा मिली हो। ऐसे कई मामले है साल 2016 में भी इरशाद अली को आतंकी बताकर जेल भेज दिया गया था, लेकिन 11 साल बाद उसे निर्दोष बताकर रिहा कर दिया गया। वहीं 2021 में भी 20 साल बाद 127 मुसलमानों को ‘इंसाफ़ दिया गया था। उन्हें खुद को बेगुनाह साबित करने में 20 साल लग गए।

 

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