काशी के महंत का दावा- ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे में जो ‘शिवलिंग’ जैसी आकृति मिली है वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है…

नई दिल्ली : ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे को लेकर एक तरफ कई दावे किए जा रहें है, दूसरी तरफ कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इस बीच काशी के ही करवट मंदिर के महंत ने भी कुछ दावे कर दिए हैं।

और हो सकता है उनके ये दावे ज्ञानवापी मामले के हिंदू पक्ष को पसंद ना आएं। महंत गणेश शंकर उपाध्याय का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे में जो ‘शिवलिंग’ जैसी आकृति मिली है वो शिवलिंग नहीं है, बल्कि फव्वारा ही है। देखने में ये आकृति शिवलिंग जैसी प्रतीत हो रही है। लेकिन हम लोगों की जो जानकारी है, उसके मुताबिक वो फव्वारा है।

हम लोगों ने बचपन से देखा ह। सैकड़ों बार वहां गए हैं। महंत ने कहा कि मैंने मस्जिद में लोगों ने इस बारे में पूछा भी कि ये कब चलता है, उसका फव्वारा देखने में कैसा लगता है। इस पर सेवादार या मौलवी बताते थे कि ये फव्वारा मुगल काल का है। महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने आगे बताया कि मीडिया में जो वीडियो दिखाया जा रहा है, जिसमें वहां कुछ सफाईकर्मी दिख रहे हैं।

चूंकि जो फोटो ऊपर से लिया गया है उसमें नीचे दिख रही आकृति शिवलिंग जैसी लग रही है। वहीं महंत ने मंदिर के बारे में बयान देते हुए कहा यह तो कटु सत्य है कि वहां मंदिर था और मुगल शासन में उसे तोड़कर उस पर मस्जिद बनाया गया था। उन्होंने कहा कि पीछे अभी भी मंदिर का कुछ भाग बचा हुआ है। साथ ही उन्होंने कहा कि जिसे तहखाना बताया जा रहा है, वह वास्तव में तहखाना नहीं है।

महंत उपाध्याय ने कहा कि फर्स्ट फ्लोर पर ही सिर्फ मस्जिद है। तहखाने में जो खंभे दिख रहे हैं, उसे देखने से लगता है कि वहां मंदिर था। वजूखाने के सवाल पर महंत ने कहा कि लोग कहते हैं कि मुस्लिम वहां कुल्ला करते हैं, हाथ धोते हैं। कुल्ला करने की जगह बाहर है। मुस्लिम समाज के लोग वहां से पानी लेते थे और फिर बाहर आकर वजू करते थे।

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