नई दिल्ली, योगी सरकार का बुलडोजर अचानक बिना सूचना दिए मुबारकपुर के जमीअतुल अशरफिया विश्वविद्यालय में पहुँच गया। दरअसल 30 साल पुरानी शिक्षक कॉलोनी को यह कहते हुए ध्वस्त करना शुरू कर दिया कि यह अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनी हुई है।
बुलडोजर अधिकारियों तथा पुलिस प्रशासन के साथ विश्वविद्यालय परिसर में उस वक्त पहुँचा जब पूरी शिक्षक कॉलोनी पूरी तरह से बंद था। रमजान की छुट्टियों की वजह से सभी शिक्षक अपने-अपने घरों पर थे।
सिर्फ शिक्षकों का अलग-अलग कमरों में लाखों का सामान मौजूद था। इस शिक्षक कॉलोनी में पढाई के दिनों में दो दर्जन से अधिक शिक्षक अपने परिवार के साथ यहां रहते हैं।
पिछले दो सालों से कोरोना महामारी की वजह से साथ ही रमजान के कारण कोई छात्र भी विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद नहीं था। और खास बात यह है कि मदरसे के अधिकतर जिम्मेदार लोग चंदे की वजह से अलग-अलग शहरों में गए हुए हैं।
शिक्षक कॉलोनी में बुलडोजर चलाने से पहले कॉलोनी के बगल में रह रहे कर्मचारी शमीम अहमद के फ्लैट को भी ध्वस्त कर दिया, इतना ही नहीं बल्कि उन्हें सामान निकालने तक की भी मोहलत नहीं दी गई।
जब इस बात की खबर विश्वविद्यालय के नाजिम-ए-आला हाजी सरफराज अहमद को मिली तो वह दंग रह गए। उन्होनें तुरंत तहसील अधिकारियों से बात कर कार्रवाई को एक दिन तक रोकने की माँग की, तो उनकी बात को ठुकरा दिया गया।
विश्वविद्यालय के निगरां शिक्षक फैयाज अहमद ने बुलडोजर को रोकने की कोशिश की तो उन्हें घटना स्थल से हटा दिया गया। इसी दौरान आसपास के लोगों जमा हो गए। वहीं लोगों के लिखित आवेदन पर जामिया के जिम्मेदाकरों के आने तक कार्रवाई रोक दी गई।
अप्रत्याशित रूप से चले बुलडोजर पर नाजिम-ए-आला हाजी सरफराज अहमद ने बताया कि शिक्षक कॉलोनी की जमीन 50 साल पहले ही रजिस्ट्री कराई गई थी। हमने पश्चिम की ओर रास्ते के लिए 10 फीट जमीन भी छोडी हुई है।
जिसके बाद एक नाला था, जिसे भूमाफियाओं ने कागजातों में हेराफेरी कर बदल दिया तथा बाहा को विश्वविद्यालय परिसर की जानिब धकेल दिया। इस धोखाधडी के खिलाफ विश्वविद्यालय परिसर की ओर से स्थानीय अदालत में मामला भी दर्ज है। लेकिन आज तक इसकी सुनवाई नहीं हो पाई है।
जमीयतुल अशरफिया मुबारकपुर के टीचर क्वार्टरज़ पे बिना किसी नोटिस/जांच के सीधे बुलडोज़र चलाना अफसोसनाक व तअस्सुब पे मबनी नज़र आता है कानून व कोर्ट दोनों की खिलाफवर्जी है
ज़रूरी है कि ऐसे वक्त में हमसब साथ खड़े हों और बाहमी इत्तेहाद का पैगाम दें वरना हम सब सिर्फ अफसोस करते रह जाएंगे— Maulana Aamir Rashadi Madni (@AamirRashadi) April 27, 2022