नई दिल्ली, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम बताया है।
इसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा महंगाई, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी से ध्यान हटाने का प्रयास बताया गया है। AIMPLB ने सरकार से इसे लागू न करने की भी अपील की।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि भारत के संविधान ने देश के हर नागरिक को उसके धर्म के अनुसार जीने की इजाजत दी है और यह एक मौलिक अधिकार है।
उसी अधिकार के तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों के लिए उनके रीति-रिवाजों, विश्वासों और परंपराओं के अनुसार अलग-अलग कार्मिक कानून दिए गए हैं, जो किसी भी तरह से संविधान में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।
All India Muslim Personal Law Board terms Uniform Civil Code an unconstitutional & anti-minorities step; calls it an attempt by Uttarakhand, UP and Central Govts to divert attention from inflation, economy & rising unemployment. AIMPLB also appeals to the Govt to not undertake it pic.twitter.com/HlIBsCaUbw
— ANI (@ANI) April 26, 2022
बल्कि यह अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों के बीच आपसी विश्वास बनाए रखने में मदद करता है। अतीत में कई आदिवासी विद्रोहों को समाप्त करने के लिए उनकी इस मांग को पूरा किया गया है कि वे सामाजिक जीवन में अपनी मान्यताओं और परंपराओं का पालन कर सकें।
अब उत्तराखंड या उत्तर प्रदेश सरकार या केंद्र सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता को अपनाना सिर्फ असामयिक बयानबाजी है और सभी जानते हैं कि उनका उद्देश्य बढ़ती महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाना है।
वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने और नफरत और भेदभाव के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाया गया है। यह संविधान विरोधी कदम मुसलमानों को बिल्कुल भी मंजूर नहीं है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी कड़ी निंदा करता है और सरकार से इस तरह की हरकतों से बचने का आग्रह करता है।