नई दिल्ली : पिछले साल दिसंबर में दिल्ली में एक धर्म संसद का कार्यक्रम किया गया था। इस दौरान हिंदू संगठन के लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।
अब दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर कहा है कि कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया गया। इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं पर उनके पास न आकर सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने को लेकर सवाल उठाए है।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस एस ओका की बेंच कर रही है। दिल्ली पुलिस ने 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पिछले साल 19 दिसंबर को दिल्ली में हुई ‘धर्म संसद’ नाम के कार्यक्रम में मुस्लिमों के खिलाफ किसी भी तरह का भड़काऊ भाषण नहीं दिया गया। साउथ ईस्ट दिल्ली की डीसीपी ईशा पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा, कि इस मामले में हेट स्पीच के आरोपों के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था।
19 दिसंबर को बनारसीदास चांदीवाला ऑडिटोरियम में हिंदू युवा वाहिनी ने कार्यक्रम का आयोजन किया था। पुलिस ने धर्म संसद के कथित वीडियो और अन्य सामग्री की जांच की. इस जांच में पाया कि इस कार्यक्रम में धर्म की खासियत बताई गई, लेकिन किसी समुदाय के खिलाफ कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया गया था।
ऐसे किसी भी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया था, जिसका अर्थ ये निकाला जाए कि मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान किया जा रहा हो। जांच में ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया जैसा याचिकाकर्ता कुर्बान अली और पूर्व हाई कोर्ट जज अंजना प्रकाश ने दावा किया था। बता दे कि एक कार्यक्रम 17 दिसंबर को हरिद्वार में हुआ और दूसरा 19 दिसंबर को दिल्ली के गोविंदपुरी में। 19 दिसंबर को हुए कार्यक्रम की बारीकी से जांच की है और यह पाया है कि याचिका में लगाए गए आरोप सही नहीं हैं। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दो व्यक्तियों, एसक्यूआर इलियास और फैसल अहमद ने कथित हेट स्पीच की शिकायत दर्ज कराई थी।
इन दोनों ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि पिछले साल दिसंबर में गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के पास बनारसीदास चांदीवाला सभागार में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हेट स्पीच के जरिए लोगों की भावनाओं को भड़काया गया था। इससे इलाके में दहशत फैल गई। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होनी है।