रामनवमी पर चला बुल्डोजर

लोग टूट जाते है एक घर बनाने में,

तुम तरस नही खाते बस्तियां जलाने में!

मध्य प्रदेश के खरगौन में रामनवमी के अवसर पर हिंसा की खबरें आईं। मुस्लिमों के घरों को जलाया गया, मस्जिद पर पत्थरबाजी कर आग लगाई गई, अभद्र टिप्पणियां की बावजूद इसके उल्टा प्रशासन ने 70 से अधिक मुस्लिमों को गिरफ़्तार कर लिया और फिर उनके घरों पर बुलडोज़र चलाये गए।

इतनी सी बात को समझिए नारे लगाती हथियारबंद भीड़ आपके मुहल्ले में आगजनी करने आये और अगर आपने उस हिंसक भीड़ को भगाने के लिये प्रतिरोध किया तो शिवराज चौहान जी जो कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं उनका बुलडोज़र आपके लिए तैयार हैं।

आपका घर गिराने के लिये अब किसी कानून किसी धारा की ज़रूरत नही है। खरगौन में रात पुलिस की मौजूदगी में दंगा होता है चुनकर मुसलमानों के घर तोड़े दिए जाते हैं फिर फौरन ही शिवराज चौहान की ग़ैर लोकतांत्रिक पुलिस ने 24 घंटे में पता भी कर लेती है कि खरगौन में हिंसा किसने की। पुलिस ने पता तो लगाया लेकिन उसमें सिर्फ़ मुसलमान ही नज़र आए ? वो लोकतंत्र के रक्षक खाकी वाले एक भी भगवा गुंडों को नही देख पाया जो मस्जिदों के सामने भड़काऊ नारे लगा रहे थे ?

सोचो तो ज़रा इस देश की अदालतें कहाँ हैं ?? कुछ मालुम नही। कोई ख़बर नहीं।

पहले तो धार्मिक रैली निकालना ऐसा रास्ता चुनना जो मुस्लिम मोहल्ले से होकर जाए मुस्लिम मोहल्लों में और मस्जिदों के सामने जुलूस को रोक देना आपत्तिजनक नारे लगाना कोई विरोध करे तो रैली पर पथराव की अफवाह फैलाना फिर भीड़ के साथ मुसलमानों की दुकानें जला देना ऐसे कानून के तहत काम हुआ है मध्य प्रदेश में।

भारत देश में डीजे लगाकर, माइक लगाकर पूरे समुदाय पर अमर्यादित टिप्पणियां की जाती हैं लेकिन कोई नही बोलता क्या सब मूकबधिर अवस्था के शिकार हो चुके हैं। किसी भी सरकार में हिम्मत है कि ऐसी अमर्यादित टिप्पणी एंव हेट स्पीच करने वालों की ज़ुबान को खींचकर दिखाए?

खैर अब मुझे ये जानना है कि देश का क़ानून या IPC और CRPC में ऐसा कौन सा प्रावधान है जहाँ बिना न्यायालय के निर्णय के हि सीधा बुल्डोजर चला दिया जाता है। क्या राज्य सरकार के पास इतनी शक्ति है कि वो आरोपी के घरों पर बुल्डोजर चलवा दे ?

मजारो को आग ,मस्जिदों पे पथराव, मुस्लिम औरतो को घर से निकालकर बलात्कार की धमकी,गरीब ठेले वाले का ठेला पलटना सिर्फ इसलिए कि वो मुसलमान है। क्या ऐसे लोगो पर कोई कार्यवाही हुई? नही! उनके घरों पर बुल्डोजर चला? नहीं!

सोचिए ज़रा 7 राज्य इस हिंसा की आग में जल गए। बात करें तो सबसे पहले करौली राजस्थान में दंगा हुआ जो 2 अप्रैल को हुआ था।उसके बाद गुजरात के हिम्मतनगर खंबाटा में ऐसा मामला आया। मध्य प्रदेश के खरगोन से हिंसा की तसवीर आई। कर्नाटक के गुलबर्गा और रायचूर में भी ऐसे ही मामले आए।

बिहार के वैशाली में और मुज्जफरपुर के काज़ी मोहम्मदपुर गांव में जहां मस्जिद पर भगवा झंडा लहराया गया। उसके बाद उत्तर प्रदेश के सीतापुर खैराबाद में हुडदंग किया गया महंत ने बलात्कार की धमकी दी। इसके बाद का मामला गोवा का है जहां नमाज़ पढ़ते में भगवाधारिओं ने नमाजियों पर हमला किया।

क्या सरकार को ऐसी खबरों से कोई सरोकार नहीं है?यहां जो कुछ हो रहा है उसकी कहीं से जिम्मेदारी नहीं की सरकार कोई नया नियम कानून लाए? पक्ष विपक्ष की बात करें तो

कांग्रेस अल्पसंख्यक के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूरा कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग क्या कर रहा है ये तो अब मेरी समझ से बाहर है। सरकार से कह दो कि अरे! अगर तुम्हारे अंदर मध्य प्रदेश,कर्नाटका,उत्तर प्रदेश आकर सड़को पर लड़ाई लड़ने की हिम्मत नही है तो इस्तीफा दे दो।

दरासल देखा जाए तो खतरे में किसी का मजहब नहीं बस एक पार्टी का आस्तित्व है क्यूं कि देश हित में इन्हे कुछ करना नहीं है बस अरबपतियों के लिए काम करना है तो लोगों को धर्म का नशा करा कर अपने काम में बिज़ी रहते है लोग लड़ते रहते है। सरकार अपने काम में लगी रहती है।

कोई बता सकता है हिन्दू आतंकवादीयो मे से कितनो को गिरफ्तार किया और कितनो का घर बुलडोजर से तोडा गया?कानून अंधा होता है इसका मतलब ये नही है ना की सत्ता में बैठे लोग राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग करने लगें।

खैर बात बुलदोजर कि करते हैं जब से UP में शुरू हुआ JSB से घर गिराना  तब से मैं वही सोच रही हूँ  की

सरकारे ऐसा कैसे कर सकती हैं?

किस कानून के तहत ऐसा किया जाता है ?

क्या अब आरोपी का अपराध साबित करना न्यायालयों में जरूरी नही है ?

तो फिर न्यायालय किस काम के ?

कोई सुप्रीम कोर्ट में PIL क्यों नही डालता है?

एक नज़र इसके कानून पर भी दाल लेते हैं….

बुलडोजर से संपत्ति ढहाने की कार्रवाई ‘उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1973’ के तहत होती है..

इस कानून में एक धारा है, जिसे धारा 27 कहा जाता है. इसके तहत ही प्रशासन को अवैध संपत्तियों को ढहाने का अधिकार मिला हुआ है. इस संबंध में विकास प्राधिकरण के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन नोटिस जारी कर सकते हैं. राजस्व विभाग के अधिकारी इसमें उनकी मदद करते हैं.

इस एक्ट के मुताबिक, अगर संपत्ति गिराने का अंतिम आदेश जारी हो चुका है, तो प्रशासन को अधिकतम 40 दिनों के अंदर संपत्ति को गिराना होगा. एक्ट ये भी कहता है कि संपत्ति गिराने का आदेश उस संपत्ति के मालिक को अपना पक्ष रखने का एक अच्छा मौका दिए बिना जारी नहीं किया जा सकता. यही नहीं, आदेश जारी होने के 30 दिनों के भीतर संपत्ति का मालिक आदेश के खिलाफ चेयरमैन से अपील कर सकता है. चेयरमैन उस अपील पर सुनवाई के बाद आदेश में संशोधन कर सकते हैं या फिर उसे रद्द भी कर सकते हैं. एक्ट में ये भी लिखा है कि चेयरमैन का फैसला ही अंतिम होगा और उसे किसी अदालत में चैलेंज नहीं किया जा सकेगा.

आरोपी होने भर पर कार्रवाई?

अब इस सवाल पर आते हैं कि क्या केवल आरोपी होने पर किसी की संपत्ति पर बुलडोजर चला देना जायज है. मसलन, क्या हत्या के आरोपी के मकान को ढहा देना सही कहा जाएगा? और अगर कोई आरोपी बाद में निर्दोष साबित हो गया तो क्या होगा?

प्रशासन आरोपियों की पूरी डिटेल खंगालता है. मान लीजिए कि कोई व्यक्ति हत्या या बलात्कार का आरोपी है. ऐसे में उसकी पूरी जानकारी निकाली जाती है. अगर पता चलता है कि उसने कोई अवैध निर्माण करा रखा है, तो उसकी संपत्ति पर बुलडोजर चलाया जाता है. ऐसे ही और भी जानकारियां निकाली जाती हैं. मान लीजिए कि उस आरोपी ने कोई फर्जी डिग्री हासिल कर रखी है, तो इस मामले में भी एक्शन लिया जाएगा.”

अधिकारी के मुताबिक इस तरह की कार्रवाई सांकेतिक होती है. समाज में एक संदेश देने के लिए. संदेश ये कि सरकार और प्रशासन कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर है. अपराध के प्रति उनका रुख कड़ा है. हालांकि बुलडोजर से संपत्ति गिराने की कार्रवाई तब ही होती है, जब ये सुनिश्चित कर लिया जाता है कि निर्माण अवैध है. इस तरह की कार्रवाई का मुख्य मामले से संबंध नहीं होता. उसकी सुनवाई अलग चलती है.

मुसलमान औरतों के रेप की गुहार,वो क्या पहने इसपे ज्ञान, क्या खाएँ ये बताना ,मस्जिदों के सामने तमाशा, तोड़ फोड़, भगवा झंडा लहराना, मुसलमान को घर से निकाल के मारना और घर पे आग लगा देना!मुसलमान कब,कैसे,और कितना जिएँ,ये भगवा आतंकवादी बताएँगे..लेकिन

‘लड़ाई दो पक्षों में हुई है’।। ये बताया जाता है।

वाक़ई समझ नही आता कि हम जिस देशमे रह रहे उसपे हमे गर्व करना चाहिए या नहीं। संविधान को हाशिए पे रख दिया गया है और इसको लागू करने की जिम्मेदार संस्थाओं ने आंख मूंद लिए है,इसके खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगो को राजद्रोह में फंसा दिया जाता है और एक बड़ी आबादी खामोश होकर तमाशबीन बनी हुई है।

मुझे ऐसा लगता है कि अब न्यायालय और न्याय अतीत की बात है।  आप एक ठग समाज में रह रहे हैं।  जिस की लाठी उस की भैंस।  बहुसंख्यकों के पास पराक्रम है इसलिए उनके पास अधिकार हैं।

मुसलमानों की मौत पे हर कोई तमाशा देखने को आतुर है और इसमे भरपूर सहयोग करने के लिए संवैधानिक रूप से सशक्त पुलिस बल सबसे मजबूती के साथ खड़ा है। सरकार

हिंसा और नफ़रत को अपने मौन समर्थन से इस देश को गृह युद्ध की तरफ़ धकेल रही हैं और जब ये होगा – हालात सबके लिए भयावह होंगे। समझ लो सबके लिए।

इस देश को बचाना है तो मीडिया और न्यायपालिका को तुरंत इस ज़हर पर बोलना होगा।

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