कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने ‘नरसंहार’ पर दास्तवेज़ जारी की

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नई दिल्ली: कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तावित नरसंहार के चरणों के संदर्भ में एक दस्तावेज ‘नरसंहार’ जारी किया। यह दस्तावेज ग्रेगरी एच स्टैंटन के ‘दस चरणों के आधार पर भारतीय स्थिति को बयान करता है।

अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, विशेष रूप से मुसलमानों पर हिंदुत्व के केंद्र सत्ता में आने के बाद बढ़ी हुई है। कुख्यात मॉब-लिंचिंग, फ़र्ज़ी मामलों में पढ़े लिखे युवाओं को जेल, सांप्रदायिक दंगों, पुलिस फायरिंग, धार्मिक उत्पीड़न।

यहां तक कि सामाजिक भेदभाव और बहिष्करण एक व्यवस्थित और संगठित कार्यक्रम का एक हिस्सा है, जिसे नरसंहार कहा जाता है। यह एक ग्रुप के द्वारा दूसरे ग्रुप की एक योजनाबद्ध हत्या है। कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव अशवान सादिक़ ने भारत में नरसंहार की अवधारणा को समझाते हुए कैसे आरएसएस नफरत भाषणों का उपयोग करके सत्ता हासिल करने और अपनी ज़हरीली विचारधारा फैलाने के लिए कैसे काम कर रहा है।

सांसद मनोज कुमार झा ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ भारत में युद्ध जैसी स्थिति और नरसंहार का विरोध करने की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने देश भर में नफरत फैलाने में सरकार के जघन्य समर्थन को उजागर किया। उन्होंने कहा कि हिंसा फैलाने वाले अपराधी हैं।

मानवाधिकार कार्यकर्ता कवलप्रीत कौर ने कहा कि ‘हमारे देश में नरसंहार के चरण एक साथ हो रहे हैं और उन्होंने भारत में इस्लामोफोबिया के बढ़ने और स्वीकार करने की निंदा की।

कैंपस फ्रंट नेशनल कमेटी के सदस्य फरहान मौजूद रहें। स्टूडेंट एक्टिविस्ट और कैंपस फ्रंट जामिया यूनिट प्रेजिडेंट वज़ीहा ने प्रोग्राम का संचालन किया।

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