कर्नाटक के मांड्या शहर में हिजाब पहनी छात्राओं को स्कूल में नहीं मिली अनुमति, शिक्षकों को भी रोका

नई दिल्ली: कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ जहां कई स्कूल और कॉलज ने संस्थान में हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है तो दूसरी तरफ अभिभावक अपन बच्चों को हिजाब में ही स्कूल भेज रहे हैं। लेकिन कुछ स्कूलों वाले मुस्लिम छात्रों को ही नहीं बल्कि टीचरों को भी हिजाब के साथ स्कूल में आने नहीं दे रहे है।

वहीं जब बच्चों से हिजाब हटवाने के लिए कहा गया तो अभिभावकों और शिक्षकों के बीच कहासुनी हो गई। शिक्षकों ने हिजाब के साथ बच्चों को स्कूल में एंट्री नहीं लेने दी। यह मामला कर्नाटक के मांड्या शहर केरोटरी स्कूल का है। जहां शिक्षकों ने छात्रओं को हिजाब के साथ स्कूल में आने से रोक दिया।

जिसके बाद छात्राओं के अभिभावक और शिक्षिका में बहस होने लगी। अभिभावक कह रहे थे कि छात्रा को हिजाब पहनकर स्कूल के भीतर जाने दिया जाए और उसके बाद स्कूल के भीतर छात्रा अपना हिजाब उतार देगी। जबकि शिक्षिका का कहना है कि छात्रा को हिजाब स्कूल से बाहर उतारकर ही अंदर आने की अनुमति मिलेगी। अभिभावक स्कूल प्रशासन से अपील कर रहे हैं छात्राओं को हिजाब में स्कूल के भीतर जाने दिया जाए, अंदर जाकर वो इसे उतार देंगे लेकिन स्कूल इसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं।

शिक्षण संस्थानों में ना सिर्फ छात्राओं को हिजाब के बिना आने के लिए कहा जा रहा है बल्कि शिक्षिकाओं को भी हिजाब पहनकर संस्थान में आने की अनुमति नहीं है। शिक्षिकाओं को भी स्कूल के बाहर ही अपना हिजाब उतारकर भीतर आने के लिए कहा गया है।

जिस तरह से यह पूरा मामला सुर्खियों में और इसको लेकर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। उसके बाद कर्नाटक हाई कोर्ट के अंतरिम फैसले के खिलाफ एक छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में कहा गया था कि हाई कोर्ट के अंतरिम फैसले पर रोक लगाई जाए। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जरूरत आने पर हम इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपील की कि इस मामले को राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनाया जाए, बाहर जो भी हो रहा है उसपर हमारी नजर है, सही समय आने पर हम इसमे हस्तक्षेप करेंगे।

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