नई दिल्ली, नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती को विरोध प्रदर्शन से पहले शनिवार की सुबह उनके आवास पर नज़रबंद कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों का समूह ‘गुपकर गठबंधन’ शनिवार को केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने वाला था लेकिन इस प्रदर्शन के शुरू होने से पहले ही नेताओं के घरों पर ताले लगा दिए गए और आवास के सामने सुरक्षाबलों की गाड़ियों की तैनाती कर दिया गया।
उमर अब्दुल्ला ने गेट पर पुलिस की गाड़ी की तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा- ‘सुप्रभात, 2022 में आपका स्वागत है। एक नया साल, उसी पुरानी जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ जो अवैध रूप से लोगों को उनके घरों में बंद कर रही है, और एक प्रशासन जो सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधि से इतना डरा हुआ है कि शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन रोक रहा है। प्रदर्शन रोकने के लिए गेट पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के बड़े ट्रक खड़े कर दिए हैं। कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं।
Talk about a lawless police state, the police have even locked the internal gate connecting my father’s home to my sister’s. Yet our leaders have the cheek to tell the world that India is the largest democracy, hah!! pic.twitter.com/flNICRGk58
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) January 1, 2022
इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया, “पुलिस के अराजक राज की बात करें तो पुलिस ने मेरे पिता के घर को मेरी बहन के घर से जोड़ने वाले आंतरिक दरवाज़े को भी बंद कर दिया है फिर हमारे नेताओं के पास इतनी हिम्मत है कि वह भारत को सबसे बड़ा लोकतंत्र कहते हैं।
GOI trumpets scrapping Article 370 & dismembering J&K throughout the country but is deeply paranoid & intolerant when people of J&K want to protest against its disempowerment. For the umpteenth time, we’ve been placed under house arrest for trying to organise a peaceful protest
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) January 1, 2022
इस मामले में पीडीपी नेता और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार में मुख्यमंत्री रहीं महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट किया, “भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को ख़त्म करके जम्मू-कश्मीर को अलग-अलग कर दिया लेकिन जब जम्मू-कश्मीर के लोग इसका विरोध करना चाहते हैं तो यह सरकार डर गई है और असहिष्णु हो गई है।
शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने की कोशिश के लिए 15वीं बार हमें नज़रबंद किया गया है। दरअसल, ये पार्टियां केंद्र सरकार की ओर से सात नई विधानसभा सीटों के “अस्वीकार्य विभाजन” के खिलाफ़ प्रदर्शन करने वाली थीं।