नई दिल्ली, दिल्ली हाईकोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीद गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली दंगों के दौरान सुलेमान की हत्या करने वाली भीड़ का हिस्सा रहे आरोपी अशीष को जमानत देने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने आरोपी आशीष को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 153ए, 323, 326, 341, 365, 395, 302 के तहत करावल नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर नंबर 58/2020 में जमानत देने से इनकार किया। अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुलेमान और उसके भाई सनोबर को पीटा गया।
इस मारपीट में सनोबर को गंभीर चोटें आईं, लेकिन वह अपनी जान बचाने में सफल रहा। सुलेमान को बेरहमी से पीटा गया और फिर उसे मृत समझकर नाले में फेंक दिया गया। सनोबर ने अपने बयान में कहा कि वह, सुलेमान, आदित्य, मामूर, अरसद, आरिफ, कासिम, सुनील और अन्य के साथ ठेकेदार यूसुफ के साथ काम कर रहे थे। इसी दौरान दंगों के बाद हाथों में डंडे और लोहे की रॉड लिए खड़े करीब 40 लोगों ने उन्हें पकड़ लिया।
उन्होंने कहा कि लोगों ने उनसे पहचान पत्र मांगा और जब उन्होंने पहचान पत्र दिखाया तो सुनील को भाग जाने को कहा। इसके बाद, सुनील ने भीड़ से कहा कि वह सनोबार और सुलेमान के साथ आया है और उनके साथ जाएगा। इसके बाद लोगों ने डंडों और लोहे की रॉड से सनोबार और सुलेमान को पकड़ते हुए मारपीट की।
इससे वे बुरी तरह घायल हो गए। इसके चलते सनोबर बेहोश हो गया और बाद में उसे पता चला कि सुलेमान की पीटाई से मौत हो गई। कोर्ट ने जमानत से इनकार करते हुए इस तथ्य पर ध्यान दिया कि सुनील ने सनोबार के संस्करण को भी कहा था।