फिल्म निर्देशक अली अकबर का इस्लाम छोड़ने का ऐलान करना बेहद अजीबोगरीब

नई दिल्ली:(इब्न अली) मलयाली फिल्ममेकर और भारतीय जनता पार्टी के नेता अली अकबर ने चौंकाने वाला ऐलान किया है, जिसके बाद वो लगातार मीडिया की टॉप ब्रेकिंग न्यूज़ में बने हुए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अली अकबर ने इस्लाम धर्म छोड़ हिंदू बनने का फैसला किया है अली अकबर और उनकी पत्नी हिंदू धर्म अपनाएंगी। अली अकबर ने ये फैसला करने के पीछे एक बेहद बचकाना और हास्यास्पद कारण दिया है गौरतलब है की बुधवार को तमिलनाडु के कुनूर जिले में हुए एक हादसे में सीडीएस बिपिन रावत समेत 13 लोगों की मौत हो गई थी ।

कथित रूप से कई लोगों ने जनरल रावत की मौत से जुड़ी पोस्ट पर ‘स्माइली इमोटिकॉन’ का इस्तेमाल किया था। अली अकबर का दावा है  कि अधिकांश  लोग जो स्माइलिंग इमोटिकॉन्स के साथ कमेंट कर रहे थे  और रावत की मौत की खबर पर जश्न मना रहे थे वे मुस्लिम हैं  उनका  कहना है कि इस्लाम के शीर्ष नेताओं ने भी बहादुर सैन्य अधिकारी को अपमानित करने वाले ऐसे ‘राष्ट्र विरोधियों’ का विरोध नहीं किया।

उन्होंने कहा कि वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते. अकबर का कहना है कि उनका धर्म से भरोसा उठ गया है। निश्चित रूप से भारत में हर किसी को अपनी पसंद का धर्म चुनने और उसका अनुसरण करने की पूरी स्वतंत्रता दी गयी है।

वहीं इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार किसी को भी इस्लाम धर्म स्वीकारने या नकारने  के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता तो ऐसे में किसी को अली अकबर के फैसले पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए और है भी नही, परन्तु यहाँ पर प्रश्न उनके उस दावे पर है जिसे उन्होंने इस्लाम छोड़ने का कारण बताया है।

अली अकबर ने अपने  इस अहम फैसले की वजह चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ बिपिन रावत के आकस्मिक निधन पर आए सोशल मीडिया रिएक्शन को बताया है अली अकबर के अनुसार जनरल रावत की मौत का जश्न मनाने वालों का धर्म इस्लाम है बहुत साफ़ शब्दों में यदि उनके इस बयान का मतलब निकाला जाये तो उनके अनुसार ‘ जनरल रावत की मौत पर जिन्होंने जश्न मनाया उन्हें यह प्रेरणा इस्लाम से मिली इसलिए वो इस्लाम छोड़ रहे है।

अली अकबर का यह बयान थोड़ी भी समझ रखने वाले किसी इंसान के गले नहीं उतर सकता  उनका कुछ लोगों के कृत्य के लिए उनके धर्म को ज़िम्मेदार ठहराना निसंदेह  तर्क की कसौटी पर कभी कसा नहीं जा सकता। फिर भी ये सवाल अकबर अली से पूछा जाना चाहिए कि अगर सीडीएस रावत के दुखद निधन पर स्माइली इमोटिकॉन का इस्तेमाल करने  वाले कुछ लोगों की वजह से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी की आस्था इस्लाम ज़िम्मेदार है तो स्वर्गीय राहत इन्दोरी की मौत पर जश्न मनाने वालों के लिए किसकी ज़िम्मेदारी बनती है !

भारत के मिसाइल मैन डॉ ए पी जे अबुल कलाम पर यति नरसिंहानंद सरस्वती की ओछी टिप्पणियों के लिए कौन सा धर्म ज़िम्मेदार है ?  मशहूर फोटो जर्नलिस्ट स्वर्गीय दानिश सिद्दीक़ी की मौत पर जश्न और सोशल मीडिया पर स्माइली इमोटिकॉन  का इस्तेमाल करने वालों के लिए कौन सा धर्म ज़िम्मेदार है ? उन्मादी दंगाई  भीड़ द्वारा किसी निहत्थे को एक विशेष नारा न लगाने पर पीट पीट कर मार डालने के लिए अली अकबर के लॉजिक से किस धर्म को ज़िम्मेदार माना जाना चाहिए। क्या जितनी आसानी से उन्होंने इस्लाम को कटघरे में खड़ा किया क्या वे ऐसा किसी और धर्म के विरुद्ध करने का साहस कर सकते हैं !

निश्चित रूप से कुछ लोगों के कार्यों के आधार पर उनकी आस्था को ज़िम्मेदार नहीं माना जा सकता क्यूंकि आस्था सिर्फ उनकी नहीं है बल्कि लाखों करोड़ों लोगों की है जो शांतिप्रिय हैं।   सभी को बोलने से पहले सोचना ज़रूर चाहिए क्यूंकि  इतने बड़े लोगों को बोलने से पहले दिमाग का उपयोग करने की सलाह देना अच्छा नहीं लगता।

SHARE
आप अपना लेख, न्यूज़, मजमून, ग्राउंड रिपोर्ट और प्रेस रिलीज़ हमें भेज सकते हैं Email: millattimeshindi@gmail.com