CAA- आंदोलन का अहम चेहरा रहे मीरान हैदर की गिरफ्तारी को हुए 600 दिन, ट्विटर पर लोगों ने की रिहाई की मांग

नई दिल्ली : (फरहीन सैफी) मीरान हैदर को गिरफ्तार हुए 600 से ज्यादा दिन बीत गए है। उनकी रिहाई को लेकर ट्विटर पर लोगो ने ट्रेंड चलाया। लोगो ने #releasemeeranhaider हैश टेग करते हुए मीरान को रिलीज करने की मांग की जिसमे एक यूजर ने लिखा कि- प्रदर्शन करना हमारा कानूनी हक है जिसकी इज़ाज़त हमे संविधान देता है मगर अफसोस की बात यह है कि प्रदर्शन कर रह लोगो पर UAPA लगा दिया जाता है।

एक और यूजर ने लिखा कि- RJD के युवा अध्यक्ष को जेल में 600 दिन बीत गए है इसपर तेजस्वी यादव कुछ क्यों नही बोल रहे है। AISA ने अपने ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से लिखते हुए कहा कि- अन्याय के 600 दिन, मीरान हैदर को तुरंत रिहा करा जाए।

टीपू सुल्तान पार्टी ने अपनी ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से लिखा- मीरान को 1 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था दिल्ली में हुई हिंसा के झुटे आरोपो में और UAPA लगा दिया गया जबकि वो तो रिलीफ वर्क कर रहा था।

कांग्रेस के युवा नेता डॉ मशकूर उस्मानी ने लिखा कि- यह शर्म की बात है कि हमारे संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करने वाले छात्र और कार्यकर्ता जेलो में बंद है जबकि खुलेआम जहर और साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वाले खुलेआम घूम रहे है।
Ismat aara- CAA और NRC पर भाषण के दस दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

600 दिनों के बाद भी वह अन्य लोगों के साथ जेल में बंद है। SIO party – ने लिखा कि अन्याय के 600 दिन।
दिल्ली दंगों की साजिश के आरोप में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी का PHD छात्र मीरान हैदर को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने 1 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया था।

मीरान हैदर बिहार के सिवान का रहने वाला है। मीरान हैदर, लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पार्टी के दिल्ली युवा प्रदेश अध्यक्ष है। फरवरी के महीने में हुए दिल्ली दंगे में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।

मीरान हैदर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के द्वारा UAPA यानी गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है। जिसमें दावा किया गया है कि उसने दिल्ली में हिंसा भड़काने का काम किया है और प्रदर्शनों में लोगो की भीड़ इकट्ठा करने के साथ साथ वह के इंतेज़ाम करने का भी काम करता था दिल्ली पुलिस का दावा है कि मीरान के मुताबिक उसने जामिया में हुई हिंसा के बाद दिल्ली दंगो की प्लानिंग की गई और दिल्ली हिंसा के लिए PFI फंड दिया था। उसने हिंसा के लिए 5 लाख रुपये जमा किए थे।

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