जम्मू कश्मीर: प्रेस काउंसिल की जांच टीम के दौरे पर भी जारी रहा पत्रकारों पर अत्याचार

Jammu

नई दिल्ली :  भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) द्वारा  नियुक्त जांच समिति  के कश्मीर में पत्रकारों से मिलने जाने से एक दिन पहले बीबीसी के एक स्ट्रिंगर पत्रकार मुख्तार जहूर को पुलिस ने तलब किया और उन्हें एक पूरी रात श्रीनगर पुलिस थाने में बिताने के लिए मजबूर किया गया।

पीसीआई की एक टीम जम्मू कश्मीर के पत्रकारों के उत्पीड़न और उन्हें डराने धमकाने के मामले की जांच के लिए 13 अक्टूबर को श्रीनगर पहुंची थी। टीम में दैनिक भास्कर के संपादक प्रकाश दुबे, न्यू इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार गुरबीर सिंह और जन मोर्चा की संपादक सुमन गुप्ता शामिल थे।

जब पुलिस ने जहूर को आधीरात को तलब किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ बातें पूछने के लिए तलब किया गया था।जहूर ने द वायर  को बताया, ‘मैं सो नहीं सका। मैं यह सोचता रहा कि मैंने क्या गलत किया है। जहूर ने कहा कि पूछताछ पूरी होने के बाद सुबह उन्हें जाने दिया गया।

उन्होंने बताया, ‘ज्यादातर सवाल इस बारे में पूछे गए कि एक सितंबर को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन की रात मैं कहां था। उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने मुझसे पूछा कि उस दिन मैं कहां-कहां गया था। उन्होंने मेरे फोन की जांच की और मेरे फोन के कॉन्टैक्ट और कंटेंट को लेकर भी सवाल किए।

उधर, एक अन्य फ्रीलांस पत्रकार सज्जाद गुल ने आरोप लगाया कि 13 अक्टूबर को प्रशासन ने उनके घर पर भी छापेमारी की। इसी दिन पीसीआई की टीम घाटी में पत्रकारों से मिलने आई थी।

बता दें कि गुल ने हाल ही में उत्तर कश्मीर के एक परिवार को लेकर रिपोर्ट की थी, जिसमें उस परिवार ने बताया था कि बांदीपोरा में हुए एक फर्जी एनकाउंटर में उनके बेटे को मार गिराया गया था।

उन्होंने कहा, ‘मेरे भाई ने मुझे फोन किया, वह डरा हुआ था। उसने मुझसे जितनी जल्दी हो सके, घर आने को कहा लेकिन मैं क्लास में घर से कई किलोमीटर दूर था।

गुल मौजूदा समय में पत्रकारिता विषय में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘जब मैं हाजिन पुलिस स्टेशन पहुंचा, पुलिस अधिकारी ने मेरे फोन ले लिया और मेरे कुछ ट्वीट डिलीट कर दिए।

बता दें कि पीसीआई ने हाल ही में कहा था कि जम्मू एवं कश्मीर में पत्रकारों को डराने-धमकाने के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग समिति का गठन किया गया है।

दरअसल जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पीसीआई और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर कश्मीरी पत्रकारों को डराने-धमकाने और उन्हें उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था।

पीसीआई की टीम 13 अक्टूबर को श्रीनगर के सरकारी गेस्ट हाउस में पत्रकारों से मिली थी। इस बैठक से जुड़े सूत्रों ने  बताया कि इस गेस्ट सूची में उन लोगों के नाम शामिल है, जो पहले सरकारी कर्मचारी थे।

सूत्र ने बताया, इन लोगों में से एक स्तंभकार के रूप में सूचीबद्ध है। द वायर  कि रिपोर्ट के मुताबिक इस सूची में शामिल अन्य नामों में कुछ कम लोकप्रिय वेबसाइटों के संपादक हैं, जिन्होंने पहले कश्मीर में पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर आवाज उठाई है।

श्रीनगर से बाहर काम कर रहे फ्रीलांस पत्रकारों ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर द वायर  को बताया कि इन दिनों उन्हें प्रशासन की ओर से छापेमारी का डर है इसलिए वे खुद अपने घरों से बाहर रह रहे हैं।

पिछले हफ्ते कश्मीर के अनंतनाग से दो पत्रकारों एक ऑनलाइन वीकली कश्मीर फर्स्ट के संपादक सलमान शाह (30) और एक फ्रीलांस पत्रकार सुहैल डार (21) को गिरफ्तार किया था। दोनों के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107, 151 के तहत मामला दर्ज किया गया।

 

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