महिला आरक्षण सरकार का दिखावा, क्या सरकार के पदाधिकारी गण खाना पूरी करती हैं? नुजहत जहां

नानपुर सीतामढ़ी

पंचायती राज बिहार में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया गया, पर महिलाओं को 10% बेनिफिट नहीं , आखिर क्यों? जितनी भी महिलाएं वार्ड सदस्य सरपंच हैं या पंचायत समिति हैं या मुखिया हैं आज तक उनमें से 90% महिला किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो सकी इसका जिम्मेदार कौन? क्या प्रखंड विकास पदाधिकारी या S.D.O, या जिलाधिकारी, जब तक महिलाओं के अंदर अपने अधिकार के लिए जागरुकता नहीं फैलाई जाएगी वब तक महिलाओं का विकास नहीं हो सकता आज 50% आरक्षण होने के बाद भी एक महिला जनप्रतिनिधि एक महिला के लिए नहीं खड़ी हो सकी,आए दिन दरिंदें पुरुष महिला पे जुल्म ढाते है पर जीती हुई महिला चाह कर भी नहीं बोल पाती है, क्यों हुकूमत तो उस के पति की है,
अप पंचायत चुनाव का समय धीरे धीरे नजदीक आता जा रहा है बहुत सारी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित है पर दबदबा उनके पति का है, या उनके पुत्र का है, आखिर क्यों,? क्या यह महिला रिजर्वेशन से महिलाओं की उन्नति होगी? या पुरुषों की उन्नति होगी? क्या यह पुरुष महिलाओं का शोषण नहीं कर रहे हैं, क्या महिलाओं के अधिकार का हनन नहीं हो रहा है, अगर आज पुरुष समाज में इतनी ही काबिलियत है तो सरकार से मांग करें कि महिला रिजर्वेशन हटा दिया जाए क्या वह कर पाएंगे?

बोखरा प्रखंड के अंदर प्रखंड विकास पदाधिकारी अंचलाधिकारी और प्रमुख इस तीनों कुर्सी पर महिलाएं बैठी है उसके बाद भी उस प्रखंड में महिलाओं का आज तक जनप्रतिनिधि के रूप में महिला सशक्तिकरण पे काम ना होना यह बहुत बड़ा प्रश्न है?

प्रखंड कार्यालय में जो भी बैठक संपन्न होती है महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने में असफल रहते हैं प्रखंड विकास पदाधिकारी या प्रमुख महोदय,

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शम्स तबरेज़ क़ासमी मिल्लत टाइम्स ग्रुप के संस्थापक एंड चीफ संपादक हैं, ग्राउंड रिपोर्ट और कंटेंट राइटिंग के अलावा वो खबर दर खबर और डिबेट शो "देश के साथ" के होस्ट भी हैं सोशल मीडिया पर आप उनसे जुड़ सकते हैं Email: stqasmi@gmail.com