नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रय अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि उमर गौतम और अन्य को जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में गिरफ्तार किया गया है और जिस तरह से मीडिया इसे पेश कर रहा है वह निंदनीय और चिंताजनक है। अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों के मामले में मीडिया के लिए जज बनना और उन्हें अपराधी के रूप में पेश करना आम बात हो गई है।
बुधवार को अपने बयान में पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि पूर्व में भी तब्लीगी जमात के प्रति ऐसा ही रवैया अपनाया गया था। इसका नतीजा यह होता है कि जिन लोगों पर आरोप होते हैं, उन्हें और उनसे जुड़े लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है और बाद में जब अदालतें उन्हें बरी कर देती हैं तो मीडिया खामोश हो जाता है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कहा कि हर किसी को अपनी स्थिति के लिए और अदालत में न्याय के लिए बोलने का मौलिक अधिकार है, कोई भी उसे इससे वंचित नहीं कर सकता है, इसलिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उमर गौतम के बेटे अब्दुल्ला उमर के अनुरोध पर यह निर्णय लिया है कि उनके मामलों पर अदालती कार्रवाई की जाएगी। मौलाना मदनी ने कहा कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो उनके लिए सजा तय करना कोर्ट का काम है, कोर्ट से हटकर कोर्ट बनना और दोषी पाए जाने से पहले किसी को दोषी ठहराना खतरनाक प्रथा है। अदालत से मीडिया ट्रायल पर रोक लगाने का भी आग्रह करेंगे, जो न केवल दुनिया में भारत की छवि को खराब करता है, बल्कि देश की व्यवस्था के साथ-साथ न्याय के लिए संघर्ष का भी मजाक उड़ाता है। इस स्थिति को देखते हुए जमीअत उलेमा के महसचिव मौलाना हकीमुददीन कासमी लखनऊ पहुँच का उमर गौतम के परिवार को क़ानूनी मदद का आश्वासन दिया।
मौलाना महमूद मदनी ने भी यूपी सरकार की बयानबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार सबके लिए बराबर होनी चाहिए, हम देखते हैं कि यति नरसिंह नंद जैसे लोग लगातार मुसलमानों के दिलों को चोट पहुँचा रहे हैं और इस्लाम धर्म का अपमान कर रहे हैं, लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, भले ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसके खिलाफ मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय ऐसे तत्वों का समर्थन किया जा रहा है।