*G-7 शिखर वार्ता*
*मासूमा सिद्दीक़ी*
विश्व के सात बड़े विकसित देशों की तीन दिवसीय जी-7 शिखर वार्ता ब्रिटेन के कॉर्नवाल में समुद्री रिसोर्ट कॉर्बिस बे बीच पर शुक्रवार से शुरू हुई। मेज़बान प्रधानमंत्री ब्रिटेन के बोरिस जॉनसन ने शिखर वार्ता में अतिथि के तौर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को भी आमंत्रित किया। बताना चाहेंगे, इस शिखर वार्ता में कोरोना महामारी के चलते पीएम मोदी ने ब्रिटेन के दौरे पर न जाते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही शिरकत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विश्व नेताओं को ‘एक धरती, एक स्वास्थ्य’ का मंत्र दिया, जिसके जरिए मौजूदा कोरोना महामारी और भविष्य की ऐसी किसी भी महामारियों का मुकाबला किया जा सके। इस दौरान मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना महामारी से दुनिया को यह सबक मिलता है कि ऐसी वैश्विक चुनौतियों का सामना एक साथ मिलकर ही किया जा सकता है। दुनिया के विभिन्न देशों के लोगों का स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़ा हुआ है, इसलिए हमें ‘एक धरती, एक स्वास्थ्य’ के मंत्र के साथ अपनी रणनीति तैयार करनी चाहिए। रणनीति तो बहुत पहले तैयार कर लेनी चाहिए थी मगर इस मुददे पर ‘हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी’ । बावजूद इसके पीएम मोदी के वैश्विक मंत्र की जी-7 के नेताओं ने समर्थन व सराहना की। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने पीएम मोदी के इस मंत्र का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए इससे अपनी सहमति जताई।
ज़ाहिर है कि कोरोना महामारी के कारण जी-7 के नेता करीब दो साल के बाद एक साथ आपस में मिले। यही वजह रही जिसमे कोरोना महामारी शिखर वार्ता में विचार विमर्श का ख़ास मुददा रहा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चिकित्सा संबंधी ऐसी आपदा के दौरान लोकतांत्रिक और पारदर्शिता पर आधारित देशों की विशेष भूमिका है। उन्होंने कहा कि भविष्य में आने वाली किसी महामारी का मुकाबला विश्वस्तर पर एकता, नेतृत्व क्षमता और एकजुटता के जरिए ही किया जा सकता है। उन्होंने विश्व व्यापार संगठन में वैक्सीन को बौद्धिक संपदा नियमों से छूट दिए जाने के भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव के प्रति जी-7 के नेताओं के समर्थन का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत विश्व स्तर पर स्वास्थ्य प्रबंधन को बेहतर बनाने के सामूहिक प्रयासों में योगदान करने के लिए तैयार है।
पीएम मोदी ने कोरोना महामारी का सामना करने के लिए भारत में किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस काम में पूरे समाज को साथ लेकर चलने की कोशिश की गई। सरकार, उद्योग जगत और समाज में रहने वाले विभिन्न वर्गों के साथ तालमेल कायम किया गया। उन्होंने महामारी के दौरान संक्रमण की पहचान और वैक्सीन प्रबंधन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी के सफल उपयोग की चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि भारत इस संबंध में अपने अनुभव को अन्य विकासशील देशों के साथ साझा करने के लिए तैयार है। खैर ये तो क़ाबलियत पर निर्भर करता है कि बहुत कुछ इससे पहले अपने देश से साझा किया जा सकता था, लेकिन ‘अब किया भी क्या जा सकता है’। आगे आपको बताते हैं कि ‘बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन’ जी-7 में चर्चा का ख़ास विषय रहा। इसमें मौजूदा महामारी का मुकाबला करने और विश्व की सामान्य स्थिति की बहाली के साथ भविष्य की महामारी को ध्यान में रखकर प्रभावी उपाय करने पर चर्चा की गई। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारत की वैक्सीन निर्माता कंपनियों के सामने कच्चे माल की उपलब्धता में आ रही कठिनाई का जिक्र किया। उन्होंने कहा कच्चा माल न मिल पाने के कारण भारत की वैक्सीन कंपनियों को वैक्सीन बनाने में बाधा आ रही है। इसलिए ज़रूरी है कि भारत में बड़े पैमाने पर वैक्सीन का उत्पादन करने के लिए कच्चे माल के निर्यात पर लगी रोक को हटाया जाना चाहिए जिसके साथ ही अफ़्रीका सहित अन्य देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराया जा सके। जी-7 बैठक में वैक्सीन को बौद्धिक संपदा नियमों से छूट देने के लिए भारत के प्रस्ताव का ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने जोरदार समर्थन किया।
शिखर वार्ता में जी-7 नेताओं के सामने भावी महामारी का सामना करने के लिए 100 दिन की कार्य योजना भी प्रस्तुत की गई। वार्ता में नेताओं के सामने अन्य देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराए जाने का प्रस्ताव रखा गया। इस तीन दिवसीय शिखर वार्ता के दौरान विश्व अर्थव्यवस्था की बहाली, स्वास्थ, जलवायु विकास और सुरक्षा जैसे अहम मामलों पर भी विचार विमर्श किया गया।
इस दौरान अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने महामारी का सामना करने के लिए जी-7 देशों के साथ ही अन्य देशों की ओर से दिए गए समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
14.06.2021