नई दिल्ली: किसान आंदोलन : तीनों कृषि कानून को लेकर किसान प्रदर्शनकारियों का आंदोलन वक़्त के साथ तेज़ी से देश भर में फैल रहा है किसान इस आंदोलन को मजबूत बनाने और देश के कोने कोने तक अपनी बात पहुचाने के लिए नई – नई रणनीतियां बना रही है।
अब तक सरकार और किसान के बीच दस से ज्यादा बैठक हो चुकी हैं पर कोई हल सामने नही आया जिसमें दोनो तरफ से सम्मति हो। जहां किसान आंदोलनकारी तीनों कृषि क़ानूनों को पूरी तरह रदद् करने पर अड़े हुए हैं । तो वहीं सरकार का कहना है कि वो कृषि क़ानूनों को वापिस नहीं लेगी पर उसमे सुधार ज़रूर कर सकती है। दोनो की तरफ़ से अटल फैसले है।
हरियाणा के खरक पूनिया में राकेश टिकैत ने भाषण देते हुए कहा कि सरकार इस गलतफहमी में ना रहे की किसान अपनी फसल की कटाई के लिए लौट जाएगी। अगर उसे कृषि क़ानूनों को वापस करने के लिए दो महीने और आंदोलन करना पड़े तो वो करेगी। पर अपने फैसले से पीछे नही हटेगी। और अगर सरकार ने उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर किया तो, वो अपनी फसलों को जला देगी पर सरकार के आगे नहीं झुकेगी। वो फसलों को काटने के साथ अपना आंदोलन जारी रखेगी।
आज किसानों ने अपने आंदोलन के अंतर्गत ” रेल रोको आंदोलन” चलाया जो कि 12 बजे से 4 बजे तक चला। आंदोलन को ध्यान में रखते हुए देश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। रेलवे ने खासतौर से पंजाब, हरियाणा,यूपी, पश्चिम बंगाल पर रेलवे सुरक्षाबलों की 20 और कंपनियां तैनात की थीं । किसान यूनियन का कहना हैं कि वो अपना रेल रोको आंदोलन शांतिपूर्वक करेंगें। उन्होंने बताया आंदोलन को देखते हुए पुलिस भी सुरक्षा के हर संभव प्रयास कर रही है । देश के कई राज्यों में पुलिस अलर्ट जारी है। कई संवेदनशील जिलों के स्टेशनों के बाहर पुलिसकर्मियों की बड़ी संख्या में तैनाती की गई है।