17 फरवरी 2021 उत्तर प्रदेश एसटीएफ के द्वारा आतंकवादी हमले की बेतुकी और फर्ज़ी कहानी बनाकर, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के 2 सदस्यों अंशाद और फिरोज़ की हुई गिरफ्तारी की संगठन ने कड़ी निंदा की है। दोनों ही लोग केरल के रहने वाले हैं और उन्होंने संगठन के विस्तार के लिए पश्चिम बंगाल और बिहार का दौरा किया था। दोनों 11 फरवरी की सुबह 5ः40 बजे कटिहार, बिहार से मुंबई के लिए ट्रेन में सवार हुए थे। उनके परिवार के मुताबिक 11 फरवरी की शाम को उनसे आखरी बार बात हुई थी, उसके बाद से ही उनका फोन पहुंच से बाहर बताने लगा था। घर वालों ने 16 फरवरी की सुबह को केरल के एक स्थानीय थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई।
परिवार द्वारा शिकायत दर्ज कराते ही, यूपी एसटीएफ ने बड़ी जल्दबाज़ी में एक प्रेस वार्ता बुलाई और आतंकवादी हमलों और उनकी गिरफ्तारी की यह फर्ज़ी और मनगढ़ंत कहानी बनाकर पेश कर दी। यूपी पुलिस जो कि अपनी गैरकानूनी गतिविधियों को सही ठहराने के लिए अफसाने तैयार करने के लिए जानी जाती है, वह इस मामले में भी फर्ज़ी कहानी गढ़ रही है। यूपी पुलिस के द्वारा 11 फरवरी को अंशाद और फिरोज़ की गिरफ्तारी और 16 फरवरी को उन्हें मीडिया के सामने पेश करना ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे’’ का फर्ज़ी बयान तैयार करने की यूपी सरकार की एक और कोशिश है। अब यह बात स्पष्ट हो जाती है कि 11 फरवरी की शाम को जब ट्रेन यूपी से गुज़र रही थी, तो यूपी एसटीएफ ने उन दोनों को राज्य के किसी रेलवे स्टेशन से अगवा कर लिया और उन्हें गैरकानूनी हिरासत में रखकर प्रताड़ित किया है।
बीजेपी के नेतृत्व वाली यूपी की राज्य सरकार, विरोध की आवाज़ों को निशाना बनाने के लिए जानी जाती है और खुद मुख्यमंत्री पॉपुलर फ्रंट को निशाना बनाने के अपने इरादों को ज़ाहिर कर चुके हैं। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली फासीवादी सरकार ने इससे पहले भी पॉपुलर फ्रंट की प्रदेश एड्हॉक कमेटी के सदस्यों को सीएए-विरोधी प्रदर्शन के दौरान तथाकथित हिंसा का मास्टरमाइंड बताने की कोशिश की थी, जिसे पुलिस अदालत में साबित करने में पूरी तरह असफल रही और पॉपुलर फ्रंट की एड्हॉक कमेटी के सदस्यों को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। बाद में यूपी पुलिस ने फिर से हाथरस बलात्कार मामले के पीड़ित परिवार से मुलाकात के लिए जा रहे एक छात्र संगठन के 3 कार्यकर्ताओं और एक पत्रकार को गिरफ्तार करके पॉपुलर फ्रंट को ‘‘जातीय हिंसा भड़काने’’ की मनगढ़ंत कहानी से जोड़ने का प्रयास किया।
पॉपुलर फ्रंट बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य एवं केंद्र सरकार की इन कोशिशों से डरने वाला नहीं है। हम इस गिरफ्तारी पर सीबीआई जांच की मांग करते हैं, क्योंकि इस मामले में खुद एसटीएस अपराधी की हैसियत रखती है। संगठन अपने मेंबरों की रिहाई के लिए हर कानूनी व लोकतांत्रिक तरीका अपनाएगा और बीजेपी व आरएसएस के नापाक मंसूबों को शिकस्त देगा।
अनीस अहमद
महासचिव,
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया